अतुल कुमार यादव/गोंडा : शारदीय नवरात्रि में उत्तर प्रदेश समेत देशभर में मां दुर्गा के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी  है. गोंडा के कई देवी मंदिरों में भक्त पूरे उत्साह से मां के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. भक्त श्रद्धा के साथ देवी मंदिरों में माता का दर्शन कर पुण्य कमाते हैं और मुंह मांगी मन्नतें पूरी होती हैं. लेकिन गोंडा जिले में प्रसिद्ध और प्राचीन शक्तिपीठ मां वाराही देवी जिसको उत्तरी भवानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है जो बेलसर ब्लाक क्षेत्र अंतर्गत उमरी बेगमगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत मुकुंदपुर में स्थित है. 


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नेपाल से आते हैं श्रद्धालु


ये 51 शक्तिपीठ में 34 शक्तिपीठ है यहां पर नवरात्रि के अलावा भक्त सोमवार और शुक्रवार को माता का दर्शन कर पुण्य कमाते हैं. नवरात्रि में भारत के पड़ोसी देश नेपाल और गोंडा के पड़ोसी जिलों सहित अन्य राज्यों के लोग दर्शन करने आते हैं. 


माता सती का गिरा था जबड़ा सीधे गया था पाताल लोक
ऐसी मान्यता है कि सती मां के शरीर को जब शंकर भगवान लेकर जा रहे थे भगवान विष्णु ने जगत कल्याण के लिये अपने चक्र से उनके शरीर को छिन्न-भिन्न कर दिया था और उनके शरीर के अंग 51 स्थानों पर गिरे जो बाद में शक्ति पीठ बन गये. उन्हीं में से एक है माँ वाराही देवी देवी का स्थान ये स्थान 34वां शक्तिपीठ है यहां पर माँ सती के मुंह का जबड़ा गिरा था. 


सुरंग की नहीं मापी जा सकी गहराई


जहां पर आज भी सुरंग मौजूद है जिनकी गहराई आज तक नही मापी जा सकी है. ऐसी किवदन्ती है कि सालों पहले किसी ने ऐसा करने का प्रसास किया था तो उनकी देखने की शक्ति चली गई थी. इसके बाद इस सुरंग में करीब 4000 मीटर धागे में एक पत्थर बांध कर डाला गया था मगर कुछ पता नहीं चल पाया. यहां यूं तो रोजाना हजारों भक्त दर्शन करते हैं लेकिन नवरात्र में यहाँ रोज लाखों भक्तों का जमावड़ा रहता है. मां का उल्लेख पुराणों में सभी का कल्याण करने वाली देवी माँ के रूप में हुआ है. 


गोंडा मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर उमरी बेगमगंज थाना क्षेत्र के मुकुंदपुर में स्थित वाराही देवी (उत्तरी भवानी) का इतिहास बहुत पुराना है. यहां के विद्वान बताते है कि सती मां अग्नि में प्रवेष कर जाने के पष्चात उनके शरीर को जब शंकर भगवान समाधी लेने लेकर जा रहे थे तो विष्णु भगवान ने जगत कल्याण के लिये अपने चक्र से उनके शरीर को छिन्न-भिन्न कर दिया था. उनके शरीर के अंग 51 स्थानों पर गिरे उसी में से एक अंग जबड़ा इस स्थान पर गिरा. ये स्थान 34 वें शक्ति पीठ वाराही देवी के नाम से जाना जाने लगा. जब वाराह भगवान ने पृथ्वी को बचाने के लिये जब अवतार लिया था तो यहीं पर आवाहन पर वाराही देवी उतरी थी.


आंख की रोशनी आती है वापस
मां वाराही देवी मंदिर की मुख्य पुजारी साध्वी रामा के मुताबिक इस मंदिर की मान्यता है 51 शक्तिपीठों में से यह 34वीं शक्तिपीठ है. यहां पर माता जी का जबड़ा गिरा था जो सीधे पाताल लोक चला गया है. यहां पर लगभग ढाई सौ वर्ष पुराना वट वृक्ष है उसका दूध डालने से लोगों के आंखों की रोशनी दोबारा वापस आ जाती है. 


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