UP By Election 2024: लोकसभा चुनाव के नतीजों में जिस सीट की चर्चा सबसे ज्यादा हुई वो फैजाबाद थी, जहां सपा ने परचम लहराया. इसी लोकसभा सीट में अयोध्या का राम मंदिर आता है. जिसके चलते बीजेपी की हार को लेकर खूब चर्चा हुई. एक बार फिर सपा और बीजेपी अयोध्या में आमने-सामने होंगे, इसकी वजह है मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना. 


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मिल्कीपुर में होगा उपचुनाव
फैजाबाद सीट से सांसद बने अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर विधानसभा से सपा के मौजूदा विधायक थे. सपा ने लोकसभा चुनाव में उनको फैजाबाद से प्रत्याशी बनाया था. उन्होंने लगातार दो बार के बीजेपी सांसद लल्लू सिंह को शिकस्त देकर सांसद बनने में सफल रहे. अब उनको मिल्कीपुर सीट छोड़नी होगी, जहां उपचुनाव होंगे. यानी एक बार फिर सपा-बीजेपी के बीच अयोध्या में टक्कर देखने को मिलेगी. 


प्रतिष्ठा का सवाल बनी सीट
बीजेपी के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है, जबकि सपा के सामने इसे बरकरार रखने की चुनौती होगी. 2022 विधानसभा चुनाव में यहां सपा के अवधेश वर्मा ने बीजेपी के बाबा गोरखनाथ को 12 हजार 923 वोटों से चुनाव हराया था. लोकसभा चुनाव में भी इस सीट से लल्लू सिंह 7733 वोटों से हारे थे. गोरखनाथ 2017 में पहली बार इस सीट से विधायक बने थे. 


प्रत्याशियों की रेस में कई नाम
उपचुनाव को लेकर सपा और बीजेपी ने अब तक प्रत्याशियों को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं. संभावित प्रत्याशियों में बीजेपी से बाबा गोरखनाथ, पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी समेत लंबी लाइन है. इनमें पासी समाज से आने वाले कई नेता शामिल हैं. उम्मीदवार के चयन में पार्टी को तगड़ी माथापच्ची करनी होगा. फिलहाल संगठन जीत-हार की संभावनाओं के गुणा-गणित को तय करने में जुट गया है. 


तीसरी बार होगा उपचुनाव
यहां तीसरी बार उपचुनाव होगा. 1998 में यहां से सपा के मित्रसेन यादव विधायक थे, जो चुनाव जीतकर सांसद बने थे,  2004 में सपा विधायक आनंदसेन ने विधायकी से इस्तीफा देकर बसपा का दामन थाम लिया था. उपचुनाव में सपा के रामचंद्र यादव विधायक बने. यहां से अवधेश प्रसाद दूसरे ऐसे नेता होंगे जो मिल्कीपुर से लोकसभा जाएंगे. 


जातीय समीकरण 
यहां कुल वोटर करीब 3 लाख 40 हजार हैं. जिसमें 18 लाख 24 हजार पुरुष जबकि 15 लाख 83 हजार महिला मतदाता हैं. अनुमानित आंकड़े देखें तो यहां 55 हजार पासी, 60 हजार ब्राह्मण, 55 हजार यादव, 30 हजार मुस्लिम, 25 हजार दलित, 25 हजार ठाकुर, कोरी 20 हजार, चौरसिया 18 हजार, वैश्य 12 हजार, पाल सात हजार, मौर्य पांच हजार, अन्य 28 हजार हैं. 


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