UP Politics: लोकसभा चुनाव में यूपी से जीते11 ऐसे एमपी हैं, जिनकी सांसदी पर तलवार लटकी हुई है. इन नेताओं पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, अगर इनमें दो साल से ज्यादा सजा हुई तो इनकी सदस्यता खत्म हो सकती है.
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लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में अप्रत्याशित नतीजे देखने को मिले. बीजेपी 2014 और 2019 का प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई जबकि हाथ का साथ लेकर सपा की साइकिल रफ्तार से दौड़ी. सपा ने 37 सीटें जीतीं जबकि बीजेपी 33 पर सिमट गई. कांग्रेस 6 और रालोद के खाते में 2 सीटें गईं. लेकिन इनमें से 11 ऐसे एमपी हैं, जिनकी सांसदी पर तलवार लटकी हुई है. इन नेताओं पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, अगर इनमें दो साल से ज्यादा सजा हुई तो इनकी सदस्यता खत्म हो सकती है.
इन 11 सांसदों में 7 इंडिया अलायंस जबकि 3 एनडीए के हैं. इसमें गाजीपुर से सपा सांसद अफजाल अंसारी, जौनपुर से बाबू सिंह कुशवाहा (सपा), सुल्तानपुर से रामभुआल निषाद (सपा), चंदौली से वीरेंद्र सिंह (सपा), बस्ती से राम प्रसाद चौधरी (सपा), आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव (सपा), हाथरस से अनूप प्रधान (बीजेपी), फतेहपुर सीकरी से राजकुमार चाहर (बीजेपी), बिजनौर से चंदन चौहान (रालोद), बागपत राजकुमार सांगवान (रालोद), सहारनपुर से इमरान मसूद और नगीना से चंद्रशेखर आजाद का नाम शामिल है.
अफजाल अंसारी को गैंगस्टर मामले में चार साल की सजा हो चुकी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगाई थी. जिसके बाद वह चुनाव लड़ पाए. इस मामले में जुलाई में सुनवाई होगी. अगर उनकी सजा बरकरार रहती है तो सदस्यता जा सकती है. हालांकि उनके पास सुप्रीम कोर्ट में जाने का विकल्प रहेगा.
धर्मेंद्र यादव के खिलाफ 2023 में एक केस में आरोप तय हो चुके हैं, अगर इसमें दो साल की सजा होती है तो उनकी सांसदी जा सकती है. नगीना सांसद चंद्रशेखर के खिलाफ 36 केस दर्ज हैं. चार मामलों में आरोप तय हो चुके हैं. अगर इनमें दो साल से ज्यादा की सजा हुई तो सदस्यता जा सकती है. जौनपुर से सांसद बने बाबू सिंह कुशवाहा पर भी एनआरएचएम घोटाला समेत कई मामले दर्ज हैं. इनमें 8 में आरोप तय हो चुके हैं.
चंदौली सपा सांसद वीरेंद्र सिंह पर भी गंभीर धाराओं में 3 केस दर्ज हैं. इमरान मसूद पर भी मनी लॉन्ड्रिंग समेत 8 केस दर्ज हैं. हाथरस सपा सांसद अनूप प्रधान पर भी गंभार धारा में केस दर्ज है. चंदन चौहान और राजकुमार सांगवान पर भी आपराधिक केस दर्ज हैं लेकिन इनमें आरोप तय नहीं हुए हैं.
क्या है नियम
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 8 (3) के तहत अगर किसी सांसद को दो या दो साल से ज्यादा की सजा होती है तो उसकी सदस्यता जा सकती है. साथ ही वह 6 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो जाएगा.
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