Milkipur Byelection: मिल्कीपुर में उपचुनाव का रास्ता साफ हो चुका है. उपचुनाव में भगवा लहराने के बाद बीजेपी की निगाहें इस सीट को जीतकर अयोध्य की हार का बदला लेने पर होंगी. इसके लिए बीजेपी दमखम के साथ जुटेगी. लेकिन यह उतना भी आसान नहीं रहने वाला है. यूपी में 9 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 7 सीटों पर कमल खिलाया जबकि 2 (करहल और सीसामऊ) पर साइकिल दौड़ी. उपचुनाव में मिली जीत बीजेपी के लिए कई मायनों में खास है. पहला उपचुनाव को 2027 में विधानसभा के लिहाज से सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा था. दूसरा लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी के सामने वापसी की चुनौती थी.


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चुनाव का रास्ता साफ
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उपचुनाव को लेकर दाखिल याचिका वापस लेने की मंजूरी दे दी है. यानी मिल्कीपुर में भी चुनाव के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. निर्वाचन आयोग कभी भी चुनाव करा सकता है. बता दें कि मिल्कीपुर से पूर्व बीजेपी विधायक बाबा गोरखनाथ ने एक याचिका दाखिल की थी. उन्होंने 2022 में मिल्कीपुर सीट से सपा के अवधेश प्रसाद के निर्वाचन को चुनौती दी थी. इसमें अवधेश प्रसाद के नामांकन पत्रों में विसंगतियों की बात कही गई.  इसके बाद उन्होंने अपनी याचिका वापस लेने की अर्जी डाली थी. सोमवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने याचिका को वापस लेने की मंजूरी दी.


अयोध्या की हार का बदला लेगी बीजेपी?
लोकसभा चुनाव में फैजाबाद (अयोध्या) सीट पर मिली हार के बाद बीजेपी पर हर तरफ से सवाल खड़े किए गए थे. बीजेपी अयोध्या में हार के बाद देशभर में चर्चा हुई, इसे राम मंदिर से भी जोड़ा गया. सपा के अवधेश वर्मा मिल्कीपुर से विधायक थे, जो फैजाबाद से सांसद बने. जिसके चलते मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव हो रहा है. मिल्कीपुर को जीतकर बीजेपी अयोध्या की हार का बदला लेने के लिए एड़ी से चोटी का जोर लगाएगी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद मिल्कीपुर की चुनावी कमान अपने हाथ में ली थी. वह हाल में अयोध्या के कई दौरे कर चुके हैं.


आसान नहीं सपा को शिकस्त देना?
मिल्कीपुर में सपा को पटखनी देना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. इस सीट पर अब तक हुए 17 चुनाव (दो उपचुनाव भी शामिल) में सबसे ज्यादा 5 बार सपा जीती है. वहीं बीजेपी को केवल दो बार ही जीत मिली. यहां कुल वोटर 3.5 लाख है. इसमें सबसे ज्यादा 1.20 लाख दलित, 55 हजार यादव, 30 हजार मुस्लिम हैं. इसीलिए 'पीडीए' फॉर्मूला काम करता है. बीजेपी को जीत दर्ज करने के लिए दलित वोटरो को साथ लेकर 60 हजार ब्राह्णणों के साथ 25 हजार क्षत्रिय और ओबीसी को एकजुट करना होगा.


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