UP By Election 2024: कटेहरी का किला एक बार ही जीती बीजेपी, दलित-ब्राह्मण वोट होंगे उपचुनाव में निर्णायक
UP ByPolls 2024 Katehari: यूपी में उपचुनाव होने वाले हैं, ऐसे में कई ऐसी सीटें हैं जहां अक्सर चुनावी समीकरण बनते और बिगड़ते रहते हैं. इन्हीं सीटों में से एक है अंबेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा सीट. जिसका इतिहास करीब 66 साल पुराना है. इस सीट पर अब तक सिर्फ एक बार बीजेपी जीत पाई है. इस उपचुनाव में भी यहां शायद जाति फैक्टर का बोलबाला रहने वाला है. आइए जानते है इस सीट का समीकरण.
Katehari bypolls 2024: वैसे तो यूपी में ऐसी कई सीटें हैं, जहां जाति फैक्टर का बोलबाला है. उन्हीं सीटों में से एक अंबेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा सीट है. जहां अक्सर जाति फैक्टर चुनावी नतीजे तय करते हैं. ऐसे में इस बार कटेहरी विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव काफी दिलचस्प होगा, क्योंकि यहां से तीनों प्रमुख दलों ने ही ओबीसी प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारे हैं. इसी विधानसभा क्षेत्र में यूपी की दूसरी बड़ी झील दरवन भी पड़ती है. इस विधानसभा सीट पर अगर 1991 को छोड़ दें तो बीजेपी यहां से कभी जीत नहीं पाई. हालांकि, इस बार बीजेपी ने जातीय समीकरण को साधने को कोशिश की है.
कभी मायावती के खास रहे दिग्गज नेता पूर्व मंत्री धर्मराज निषाद पर पार्टी ने भरोसा जताया है. वहीं, सपा ने शोभावती वर्मी और बसपा ने अमित वर्मा को मैदान में उतारा है. जिससे ये त्रिकोणीय मुकाबला काफी रोचक बन गया है. हालांकि, जानकारों का कहना है कि इस बार यहां बीजेपी और सपा के बीच सीधी टक्कर हो सकती है.
जातिगत समीकरण साधेगी बीजेपी?
दरअसल, सपा विधायक लालजी वर्मा के अंबेडकरनगर से सांसद बनने की वजह से कटेहरी सीट खाली हुई. लोकसभा चुनाव में अंबेडकरनगर की पांचों विधानसभाओं में समाजवादी पार्टी को कटेहरी में सबसे कम वोट्स मिले थे. इस सीट पर लगभग बराबर की संख्या में कुर्मी और निषाद जाति के वोटर हैं. ऐसे में इन दोनों ओबीसी जातियों में कोई गठजोड़ न हो पाए, शायद इसी वजह से पिछले चुनावों से सबक लेते हुए बीजेपी ने जातिगत समीकरण को साधने की कोशिश की है.
किस पार्टी के उम्मीदवार जीते?
1962 में कटेहरी विधानसभा अस्तित्व में आई थी. तब से लेकर अब तक यहां 16 जनरल इलेक्शन हो चुके हैं. यहां 1991 में बीजेपी सिर्फ एक बार जीत पाई थी. 1962 से लेकर अब तक के चुनावी नतीजों की बात करें तो 1962 में निर्दल महादेव,1967 में कांग्रेस के राम नारायण, 1969 कांग्रेस के भगवती प्रसाद शुक्ल, 1974 में दोबारा कांग्रेस के भगवती प्रसाद शुक्ल ने जीत दर्ज की. वहीं, 1977 में जनता पार्टी के रविन्द्र नाथ तिवारी, 1980 में कांग्रेस के जिया राम शुक्ल, 1985 में जनता दल के रविन्द्र नाथ तिवारी, 1989 में दोबारा जनता दल के रविन्द्र नाथ तिवारी ने जीत हासिल की. इसके अलावा 1991 में बीजेपी के अनिल तिवारी, 1993 में बसपा के राम देव वर्मा, 1996, 2002 और 2007 में इस सीट पर बसपा के धर्मराज निषाद का कब्जा रहा. 2012 में सपा के शंखलाल मांझी, 2017 में बसपा के लालजी वर्मा और 2022 में सपा के लालजी वर्मा विधायक चुने गए थे.
क्या है जातीय समीकरण?
अगर अंबेडकर नगर जिले की कटेहरी विधानसभा सीट के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो की यहां पिछले करीब चार चुनाव से जातीय समीकरण हावी है. इस सीट पर सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति के वोटर्स हैं. दूसरे नंबर पर ब्राह्मण वोटर्स हैं. वहीं, कुर्मी और निषाद जाति के वोटर लगभग बराबर की संख्या में हैं. यहां ब्राह्मण 50 हजार क्षत्रिय 30 हजार, अनुसूचित जाति 95 हजार, कुर्मी 47 हजार मुस्लिम 40 हजार, यादव 22 हजार निषाद 30 हजार, मौर्य 10 हजार, राजभर 20 हजार, बनिया 15 हजार, पाल 7 हजार, कुम्हार 6 हजार, नाइ 8 हजार, चौहान 5 हजार, विश्वकर्मा 4000 हजार, अन्य 10285 वोटर्स हैं.
अगर कटेहरी विधानसभा सीट पर कुल वोटर्स की बात करें तो यहां कुल 400875 वोटर्स हैं. जिसमें 210568 पुरुष, 190306 महिला और एक थर्ड जेंडर वोटर हैं. इसके अलावा 7667 वोटर्स 18 से 19 साल के हैं. यहां कुल 280 मतदान केंद्र हैं. इन मतदान केंद्रों को मिलाकर 425 मतदेय स्थलों पर चुनाव होगा.
क्या हैं यहां के मुद्दे?
कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में विकास और बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा रहा है. यहां रोजगार के साधन बिल्कुल ना के बराबर है. सिर्फ खेती-किसानी ही इस इलाके में रोजगार का साधन है. सरयू नदी के किनारे होने के चलते हर साल इसके कुछ इलाके बाढ़ से प्रभावित भी होते रहते हैं. इसके अलावा आवारा जानवर, ग्रामीण क्षेत्रों में खराब सड़कों के साथ-साथ बिजली-पानी भी अहम मुद्दा है, जो जस के तस बना हुआ है.
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