Atal- Advani Firendship: स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी दोनों भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता रहे हैं. इनकी दोस्ती की कहानी बहुत ही अद्भुत है....
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Lal Krishna Advani And Atal Bihari Vajpayee Remarkable Friendship: कहा जाता है राजनीति में दोस्ती लम्बे अरसे तक नहीं चल पाती. कई बार राजनैतिक मतभेद होते होते आपसी मनभेद हो जाता है, लेकिन इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री अटल सिंह वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की दोस्ती की कहानी एकदम उलट है. इन दोनों नेताओं की जोड़ी वाजपेयी के स्वर्गवास होने तक कायम रही. उनके निधन के साथ ही आडवाणी अकेले हो गए. उनकी दोस्ती का सफर 65 सालों तक अटल रहा. भारतीय राजनीति के गलियारों में अब भी इस दोस्ती की मिशाल दी जाती है.
ऐसे हुई थी अटल- आडवाणी की मुलाकात
इस दोस्ती की शुरुआत बड़े ही रोचक तरीके से हुई थी. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर मुद्दे को लेकर पूरे देश की यात्रा कर रहे थे. इस सिलसिले में एक बार अटल सिंह वाजपेयी और श्यामा प्रसाद मुखर्जी ट्रैन से सफर करते हुए मुंबई जा रहे थे. अटल सिंह श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सहयोगी के तौर पर यह यात्रा कर रहे थे. उन दिनों लालकृष्ण आडवाणी कोटा में प्रचारक थे. जब आडवाणी को मुखर्जी की ट्रैन के बारे में पता चला की ट्रैन कोटा से होकर जाएगी तो वह उनसे मिलने रेलवे स्टेशन पहुँच गए. यहीं पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अटल और आडवाणी की मुलाकात करवाई थी.
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बीजेपी के गठन के पहले की है दोस्ती
अटल और आडवाणी बीजेपी की स्थापना से पहले की बतौर संघ प्रचारक अपने सियासी सफर की शुरुआत कर चुके थे. एक और चीज जो दोनों को जोड़ती थी वो थी पत्रकारिता. ये दोनों ही नेता पत्रकार थे. अटल सिंह वाजपेयी प्रचारक बनकर जहां भी जाते वहां अपने भाषण के दम पर लोगों के दिल में जगह और नयी पहचान बना लेते थे. जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी अटल के भाषणों से काफी प्रभावित थे. वो चाहते थे कि किसी भी हाल में वाजपेयी संसद तक पहुँच जाएं ताकि पूरा देश उनके भाषणों को सुन सके. आडवाणी भी वाजपेयी कि इस शैली के प्रशंसक रहे.
संसद पहुंचने पर गहरी हुई दोस्ती
दोनों नेता लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे तो उनकी दोस्ती और भी गहरी हुई. पार्टी के लिए काम करना हो .या निजी समय में घूमना फिरना हो, दोनों नेताओं को साथ में देखा जाता था. इन दोनों ने भारतीय जनता पार्टी की नीव डाली और साथ में अपना राजनीतिक सफर आगे बढ़ाते रहे. 65 सालों तक यह दोस्ती अटूट रही. हमेशा दोनों एक दूसरे का साथ देते रहे. अगस्त 2018 में अटल बिहारी वाजपेयी का स्वर्गवास हो गया और यह जोड़ी टूट गयी. लेकिन जनता के दिल में अभी भी उनकी जगह बरकरार है.