Mayawati Akhilesh Yadav : 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियां राजनीतिक दलों ने अभी से शुरू कर दी हैं. इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती और सपा अध्‍यक्ष अख‍िलेश यादव के साथ आने की अटकलें लगनी भी शुरू हो गई है. हालांकि, बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को इन अटकलों पर विराम लगा दिया. बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि सपा और कांग्रेस आरक्षण विरोधी हैं, इनसे गठबंधन नहीं हो सकता. मायावती ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला है. 


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मायावती ने सपा-कांग्रेस पर साधा निशाना 
बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म X पर लिखा, कल प्रयागराज में संविधान सम्मान समारोह करने वाली कांग्रेस पार्टी को बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के अनुयायी कभी माफ नहीं करेंगे, जिसने संविधान के मुख्य निर्माता बाबा साहेब को उनके जीते-जी व देहान्त के बाद भी भारतरत्न की उपाधि से सम्मानित नहीं किया. साथ ही, बाबा साहेब की मूवमेन्ट को गति देने वाले कांशीराम का देहान्त होने पर इसी कांग्रेस ने केन्द्र में अपनी सरकार के रहते इनके सम्मान में एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक तथा सपा सरकार ने भी राजकीय शोक घोषित नहीं किया. इनकी ऐसी दोगली सोच, चाल, चरित्र से जरूर सजग रहें. 


कांग्रेस ने अपनी सरकार में क्‍यों नहीं कराया था जातीय जनगणना 
मायावती ने आगे लिखा, इसके इलावा केन्द्र में बीजेपी की सत्ता आने से पहले कांग्रेस ने अपनी सरकार में राष्ट्रीय जातीय जनगणना क्यों नहीं कराई थी, जो अब इसकी बात कर रहे हैं, जवाब दें? जबकि बीएसपी इसके हमेशा ही पक्षधर रही है, क्योंकि इसका होना कमजोर वर्गों के हित में बहुत जरूरी है. इतना ही नहीं, संविधान के तहत एससी/एसटी को मिले आरक्षण में अब वर्गीकरण और क्रीमीलेयर के जरिये, इसे निष्प्रभावी बनाने व खत्म करने की चल रही साजिश के विरोध में कांग्रेस, सपा व बीजेपी आदि का भी चुप्पी साधे रखना क्या यही इनका दलित प्रेम है, सचेत रहें. 


सपा नेता ने दिए थे गठबंधन के संकेत 
बसपा प्रमुख मायावती ने आगे लिखा, सपा और कांग्रेस आदि जैसी इन आरक्षण विरोधी पार्टियों के साथ अब किसी भी चुनाव में इनसे कोई गठबन्धन आदि करना क्या SC, ST और OBC वर्गों के हित में उचित होगा. यह कतई नहीं होगा. ऐसे में अब इनको खुद अपने दम पर खड़े होना है, यही सलाह. वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव राम अचल राजभर ने संकेत दिए हैं कि 2027 विधानसभा चुनाव बसपा और सपा साथ मिलकर लड़ेंगी. उन्‍होंने कहा कि 2027 के चुनावों में सामाजिक न्‍याय के मुद्दे पर अखिलेश यादव और मायावती एक मंच साझा कर सकते हैं.  



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