Lal Krishna Advani Profile: आडवाणी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के जरिए अपने करियर का आगाज किया. लाल कृष्ण आडवाणी की गिनती बीजेपी के दिग्गज नेताओं में की जाती है. आडवाणी के नेतृत्व में बीजेपी राम मंदिर जन्मभूमि का राजनीतिक चेहरा बनकर उभरी थी.
भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें को बुधवार देर रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्हें उम्र संबंधी तकलीफ होने के बाद अस्पताल ले जाया गया.
आडवाणी न सिर्फ बीजेपी के दिग्गज नेता बल्कि पार्टी के मजबूत स्तंभ भी हैं. एलके.आडवाणी वह शख्स हैं, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई. वह बीजेपी के संस्थापक सदस्य हैं. आज हम बात करते हैं उनके जन्म से लेकर राजनीतिक करियर के हर पहलू के बारे में
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में हुआ था. जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तो उनका परिवार मुंबई आ गया. यहां पर उन्होंने गर्वनमेंट लॉ कॉलेज से कानून में स्नातक किया.
राम मंदिर आंदोलन के अगुवा नेताओं में शुमार किए जाने वाले लाल कृष्ण आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर लाने में अथक प्रयास किया था. आडवाणी 1941 में 14 साल की उम्र में आरएसएस में शामिल हुए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के जरिए अपने राजनीतिक करियर का आगाज किया था.
वह एक सिंधी हिंदू परिवार से ताल्लुक रखते हैं. फरवरी 1965 में आडवाणी ने कमला आडवाणी से शादी की और उनका एक बेटा जयंत और एक बेटी प्रतिभा है।
लाल कृष्ण आडवाणी बीजेपी के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले नेता हैं. वह लंबे समय तक सांसद के तौर पर देश की सेवा कर चुके हैं. साल 1980 में बीजेपी के गठन के समय वह भी पार्टी में एक मजबूत पिलर रहे हैं.
आडवाणी को इस साल 30 मार्च को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया. इससे पहले साल 2015 में आडवाणी को देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया था।
50 साल से भी अधिक अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन में आडवाणी साल 1998 में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में गृह मंत्री बने. इसके अलावा 10वीं और 14वीं लोकसभा के दौरान आडवाणी सदन में नेता प्रतिपक्ष रहे.
वह कई बार सांसद रहे. आडवाणी 3 बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. पहली बार राज्यसभा के जरिए 1970 में सांसद बने. आडवाणी 7 बार लोकसभा सांसद बने तो 4 बार राज्यसभा के सांसद चुने गए. आडवाणी 1993 में पार्टी अध्यक्ष बने और 1998 तक पद पर बने रहे. तीसरी और आखिरी बार साल 2004 में वह अध्यक्ष चुने गए और 2005 तक पद पर रहे.
राम मंदिर आंदोलन के अगुवा नेताओं में शुमार किए जाने वाले लाल कृष्ण आडवाणी उन नेताओं में शामिल रहे हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नींव रखी थी.
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वो 2002 से 2005 तक उप-प्रधानमंत्री भी रहे. वो देश के इतिहास के 7वें उप-प्रधानमंत्री बने थे.
सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी की स्थापना में अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा लालकृष्ण आडवाणी की भी अहम भूमिका थी. आडवाणी के नेतृत्व में बीजेपी राम मंदिर जन्मभूमि का राजनीतिक चेहरा बनकर उभरी थी. साल 1990 में निकाली उनकी राम रथ यात्रा देश के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई.
लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में देश के बड़े हिस्से पर भाजपा की पकड़ मजबूत हुई. साल 2004 में जब भाजपा की हार हुई थी, तब भी आडवाणी अपनी सीट पर जीते और लोकसभा में विपक्ष के नेता बने. जब वाजपेयी ने राजनीति से हट गए, तो आडवाणी पर भाजपा को आगे ले जाने की जिम्मेदारी आई.
आडवाणी 1991, 1998, 1999, 2004 और 2009 में वो गांधीनगर से लोकसभा सांसद चुने गए. 2014 में आखिरी लोकसभा चुनाव भी वे गांधीनगर से ही लड़े, जिसमें जीत हासिल की.
लाल कृष्ण आडवाणी ही वह नेता हैं, जिन्होंने राजनीति में 'यात्राओं' का कल्चर शुरू किया था. जिस समय अयोध्या में राम मंदिर की मांग अपने पीक पर थी, तब लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथयात्रा शुरू की थी.