BJP_RLD Alliance in UP : उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी को एक और बड़ा झटका लग सकता है. सूत्रों का कहना है कि रालोद बीजेपी की अगुवाई वाली NDA गठबंधन में शामिल होगी.
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RLD May Join NDA before Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में बड़ा सियासी उथल पुथल देखने को मिल रहा है. सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय लोकदल यानी आरएलडी जल्द ही NDA गठबंधन में शामिल हो सकती है. इससे वेस्ट यूपी में बीजेपी को बड़ा फायदा मिलेगा.
सूत्रों का कहना है कि भाजपा और राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन पर बात अंतिम दौर में है और राष्ट्रीय लोकदल NDA में औपचारिक तौर पर जल्द शामिल हो सकती है. रालोद पश्चिमी यूपी के बागपत, कैराना, मुजफ्फरनगर जैसे जिलों में मजबूत पकड़ रखती है. लिहाजा रालोद को केंद्र और राज्य सरकार के विस्तार में जगह दी जा सकती है. योगी कैबिनेट में आरएलडी को अहम जिम्मेदारी मिल सकती है. इसके लिए योगी कैबिनेट का विस्तार अगस्त के अंत में हो सकता है.
दरअसल, रालोद सपा के साथ गठबंधन में 12 सीटें मांग रही है, लेकिन सपा से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की इन सीटों पर नहीं बन पा रही है बात. बीजेपी को रालोद के साथ आने से बड़ा फायदा मिलेगा. खासकर किसान आंदोलन के बाद से कायम नाराजगी को दूर करने में मदद मिलेगी. बीजेपी की नजर जाट वोटों पर है.
सूत्रों के हवाले से बहुत बड़ी ख़बर
NDA में शामिल हो सकती है RLD-सूत्र
गठबंधन की बातचीत अंतिम दौर में-सूत्र
मोदी-योगी कैबिनेट में मिल सकती है जगह-सूत्र #rld #bjp #NDA @BJP4UP @jayantrld @Akanksha_rjt @ajeetsingh1979 pic.twitter.com/PPkev12Kex— Zee Uttar Pradesh Uttarakhand (@ZEEUPUK) August 10, 2023
पश्चिमी यूपी में जाट समाज का बड़ा गढ़ है. बीजेपी के मुताबिक, जाट समाज उनके साथ पूरे तरीके से नहीं आ रहा था. जबकि बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, संजीव बालियान जैसे बड़े नेता जाट समाज को लामबंद बीजेपी के लिए नही कर पा रहे हैं. खतौली विधानसभा उपचुनाव में भी बीजेपी को ऐसे ही झटका लगा था. बुधवार को आरएलडी के विधायकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी.
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी और रालोद में काफी दिनों से उठापटक के संकेत मिल रहे हैं. यूपी नगर निकाय चुनाव में आरएलडी ने सपा से मथुरा समेत नगर निगम की कई सीटें मांगी थीं, लेकिन अखिलेश यादव टस से मस नहीं हुए. इसके बाद जयंत चौधरी ने वेस्ट यूपी में समरसता अभियान के नाम पर बड़ा जनसंपर्क अभियान छेड़ा था, ताकि अपनी पैठ मजबूत की जा सके.
जयंत चौधरी इंडिया की बेंगलुरु में हुई बैठक में भी शुरुआती दौर में गैरहाजिर रहे थे. उसके बाद दिल्ली सेवा से जुड़े विधेयक के दौरान भी आरएलडी वोटिंग के दौरान गैरहाजिर रही.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि रालोद के बीजेपी के साथ आने से जाट समुदाय के बीच बड़ा संदेश जाएगा. इसका असर हरियाणा और राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है, जहां जाट और गैर जाट वोटों की राजनीतिक लड़ाई हमेशा निर्णायक रही है. बीजेपी ने गैर जाट मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा दांव खेला था, लेकिन नूंह हिंसा समेत कई मोर्चों पर उसे झटका लगा है. राजस्थान के बीकानेर, नागौर समेत कई जिलों में जाट वोट निर्णायक स्थिति में है.