गौरव तिवारी/कासगंज: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने  राम मंदिर आंदोलन के दौरान कारसेवकों पर तत्कालीन यूपी सरकार द्वारा गोलियां चलवाने का बचाव करते हुए उन कारसेवकों को अराजक तत्व करार दिया है.


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कार सेवकों पर गोलियां....
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है. महंगाई पर सरकार का ध्यान नहीं है.  जो संसद बहस के लिए बनाई गई है उसमें से सांसदों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है.  उस समय की सरकार ने न्याय की रक्षा व कर्तव्य का पालन करते हुए कार सेवकों पर गोलियां चलवाई थीं. बीजेपी के केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल के द्वारा अपने बयान में यह कहे जाने पर कि कार सेवकों पर सपा सरकार में गोली चलाई गई थी. सपा सरकार से कोई श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आना चाहे तो उसको स्वागत है.  जब इस बारे में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उसे समय की सरकार ने न्याय की रक्षा करते हुए अपने कर्तव्य का पालन करते हुए गोली चलवाई थीं क्योंकि बिना किसी न्यायिक निर्देश के अराजक तत्वों ने वहां पर तोड़फोड़ की थी. रही बात एसपी सिंह बघेल की तो वह भी उसे समय समाजवादी पार्टी में थे तो उनको तो यह बात करनी ही नहीं चाहिए.



वहीं उन्होंने मीडिया को भी गोदी मीडिया करार देते हुए कहा कि मीडिया निष्पक्ष बात नहीं कर पा रहा है. मीडिया मात्र गड़े मुर्दे उखड़ता है. मीडिया के जो लोग सत्ता पक्ष के लोगों से सवाल पूछते हैं तो उन्हें जेल भेज दिया जाता है.


SC के आदेश पर राम मंदिर निर्माण
कासगंज जनपद के गंजडुंडवारा में बौद्ध जन जागरूकता सम्मेलन के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हो रहा है, न कि बीजेपी सरकार के आदेश पर. उन्होंने कहा कि भाजपा आने वाले लोकसभा चुनाव में राम मंदिर निर्माण का लाभ उठाना चाहती है.


क्या हुआ था अयोध्या में...
आपको बता दें कि 33 साल पहले साल 1990 में अयोध्या के हनुमान गढ़ी जा रहे कारसेवकों पर गोलियां चलाई गईं थीं. तब यूपी में सपा की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. हिंदू साधु-संत अयोध्या की तरफ जा रहे थे. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ अयोध्या पहुंचने लगी थी. अयोध्या में प्रशासन ने कर्फ्यू लगा रखा था. पुलिस ने बाबरी मस्जिद के 1.5 किलोमीटर के दायरे में बैरिकेडिंग लगा रखी थी. कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई थी. और उस समय की सरकार ने पहली बार 30 अक्टूबर, 1990 को कारसेवकों पर चली गोलियों में 5 लोगों की मौत हुई थी. इस घटना के बाद अयोध्या से लेकर देश का माहौल पूरी तरह से गर्म हो गया था.


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