लखनऊ : महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद अब बीजेपी लोकसभा चुनाव में महिला प्रत्याशियों को अधिक से अधिक टिकट देने पर विचार कर रही है. इसी कड़ी में यूपी में बीजेपी 20 से 30 फीसदी टिकट महिलाओं को दे सकती है. नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होने के बाद बीजेपी का यह एक बड़ा दांव होगा.


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2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और एनडीए ने 80 में से सिर्फ 11 महिलाओं को टिकट दिया था. ऐसे में नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होने और विपक्ष की ओर से लगाता यह कहा जाता रहा है कि बीजेपी की कथनी और करनी में अंतर है. ऐसे में विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए भाजपा यूपी में महिला प्रत्याशियों की संख्या बढ़ाएगी. 
2019 में यह लगभग 13.75 फीसदी रहा. ऐसे में यदि इस बार बीजेपी 30 फीसदी टिकट यदि महिलाओं को देती है तो काफी समीकरण बदल जाएगा. अभी यूपी में एनडीए के 66 में से सिर्फ 9 महिला सांसद हैं. 8 बीजेपी और एक अपना दल की महिला सांसद हैं. हालांकि राजनीतिक जानकार यह भी मान रहे हैं कि बीजेपी जातीय समीकरण में कमजोर सीटों पर महिला प्रत्याशी उतार सकती है. ऐसे में सवाल है कि राजनीतिक दल सही मायने में महिला प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहते हैं या सिर्फ ये प्रतिकात्मक राजनीति होगी.


क्या होगी सपा, बसपा और कांग्रेसी की रणनीति
अब देखना ये होगा कि बीजेपी महिलाओं को दिए जाने वाले टिकट में ओबीसी और एससी,एसटी को कितना प्रतिनिधितत्व देती है. वहीं बीजेपी की इस रणनीति के बाद कांग्रेस, बीएसपी और समाजवादी पार्टी अपनी रणनीति में कितना बदलाव करते हैं. 


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परिजन भी कतार में
यदि बीजेपी अधिक से अधिक महिला प्रत्याशियों को टिकट देती है तो कई मौजूदा सांसदों की टिकट कटेगी. ऐसे में मौजूदा सांसद अपने परिजनों के लिए टिकट मांग सकते हैं. ऐसे में बीजेपी परिवारवाद से कैसे निपटेगी यह देखना काफी दिलचस्प होगा. 


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