मिल्कीपुर से सीसामऊ तक ये सीटें बीजेपी की बढ़ा सकती हैं टेंशन, यूपी उपचुनाव की तारीखों का ऐलान
Uttar Pradesh Byelection 2024: यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान 15 अक्टूबर यानी आज हो गया है. आइए जानते हैं इन सीटों के सियासी समीकरण क्या हैं और किसके लिए क्या चुनौती हैं.
UP Bypolls 2024: यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान आज हो गया है. चुनाव आयोग 15 अक्टूबर यानी आज महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ उपचुनाव का कार्यक्रम जारी कर दिया. मिल्कीपुर में फिलहाल चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है. सपा 6 सीटों पर उम्मीदवार तय कर चुकी है. वहीं, बीजेपी ने प्रत्याशियों का ऐलान भले न किया हो लेकिन यह तय हो गया है कि पार्टी 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं एक सीट सहयोगी रालोद के लिए छोड़ी है.
आसान नहीं बीजेपी की राह
जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होना है, वहां लड़ाई 50-50 की है. उपचुनाव की 7 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां बीजेपी का कड़ा इम्तेहान होगा. पार्टी को यहां सपा से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है. इनमें सपा का गढ़ कही जाने वाली करहल, अवधेश प्रसाद की मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, कटहरी, मीरापुर और फूलपुर शामिल हैं.
करहल विधानसभा सीट
मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट यादव परिवार की परंपरागत सीट है. यहां से अखिलेश यादव विधायक थे, कन्नौज से सांसद बनने के बाद यहां से सपा ने तेजप्रताप को प्रत्याशी बनाया है. यहां यादव वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. करहल सीट पर बीजेपी आजादी के बाद अब तक कमल खिलाने में कामयाब नहीं हो पाई है.
मिल्कीपुर विधानसभा सीट
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद खाली हुई. सपा ने यहां से उनके बेटे अजीत प्रसाद को उतारा है. यहां पासी, यादव और ब्राह्णण वोटर निर्णाय भूमिका में माने जाते हैं. बीजेपी इस सीट पर पूरा जोर लगा रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ भी यहां का दौरा कर चुके हैं.
सीसामऊ विधानसभा सीट
कानपुर की सीसामऊ सीट पर भी बीजेपी का कड़ा इम्तेहान होगा. यह समाजवादी पार्टी की मजबूत सीटों में से एक है, जहां इस बार सपा इरफान सोलंकी के परिवार से किसी को टिकट दे सकती है. बीजेपी यहां आखिरी बार 1996 में जीती थी, जबकि 2012, 2017 और 2022 में यहां से सपा के टिकट पर इरफान सोलंकी विधायक चुने गए थे. यहां सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं.
कुंदरकी विधानसभा सीट
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट संभल लोकसभा सीट में आती है, मुस्लिम बहुल यह सीट सपा की गढ़ मानी जाती है. जियाउर रहमान वर्क यहां से विधायक थे, जो संभल से एमपी बने हैं. ऐसे में 60 फीसदी मुस्लिम बाहुल्य वाली इस सीट पर भाजपा के लिए जीतना थोड़ा मुश्किल है. देखना होगा कि क्या भाजपा यहां से मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी.
कटहरी विधानसभा सीट
कटहरी अंबेडकरनगर की सीट है, जहां से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक लालजी वर्मा विधायक थे और इस बार अंबेडकर नगर से सपा के सांसद बन गए. सपा ने लालजी वर्मा की पत्नी को यहां से टिकट दिया है. ये सीट भी बीजेपी के लिए मुश्किल सीटों में से एक है.
मीरापुर विधानसभा सीट
मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट बीजेपी ने सहयोगी रालोद के लिए छोड़ी है. 2022 में आरएलडी से चंदन चौहान जीतकर विधायक बने थे, इस बार बीजेपी-आरएलडी गठबंधन से बिजनौर से सांसद हो गए हैं, लेकिन यह सीट मुस्लिम बहुल होने की वजह से बीजेपी गठबंधन के लिए आसान नहीं है.
फूलपुर विधानसभा सीट
फूलपुर विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी जीती थी, जहां से प्रवीण पटेल विधायक चुने गए हुए थे, लेकिन इस बार भाजपा ने प्रवीण पटेल को फूलपुर से सांसदी तो जीत ली, लेकिन प्रवीण फूलपुर की विधानसभा से हार गए.
मझवां विधानसभा सीट
मझवां विधानसभा सीट पर 2017 में बीजेपी उम्मीदवार जीते थे. इसके बाद 2022 में बीजेपी की सहयोगी दल निषाद पार्टी के टिकट पर विनोद कुमार बिंद चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई है. यहां दलित-ब्राह्मण और बिंद वोटर सबसे ज्यादा है.
खैर विधानसभा सीट
खैर विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकदल का प्रभाव माना जाता है. 2017 विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के अनूप प्रधान जीते थे. इसके अलावा 2007 से 2022 तक यहां राष्ट्रीय लोकदल परचम लहराती रही है. अनुमानित जातीय आंकड़ों की बात करें यहां सबसे ज्यादा करीब 1.15 लाख जाट, 70 हजार जाटव और 60 हजार ब्राह्मण वोटर हैं.
गाजियाबाद सदर विधानसभा सीट
गाजियाबाद बीजेपी की सेफ सीटों में गिनी जाती है. 2017 से यहां बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी उम्मीदवार अतुल गर्ग जीते थे. 2022 विधानसभा चुनाव में अतुल गर्ग ने यहां से करीब एक लाख वोटों से जीत दर्ज की थी लेकिन लोकसभा चुनाव में अतुल गर्ग इस विधानसभा सीट से 63,256 वोट की लीड ही ले पाए. यहां वैश्य, एससी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं.
सीएम योगी ने संभाला मोर्चा
लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद सीएम योगी आदित्यानाथ ने खुद कमान संभाली और बड़े नेताओं की ड्यूटी उपचुनाव वाली सीटों पर लगाई है. 2027 विधानसभा चुनाव के लिहाज से उपचुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है. बीजेपी के सामने पुराने प्रदर्शन को दोहराने की परीक्षा होगी.
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