युवाओं ने बदली बस्तर के गांव की किस्मत, एडवेंचर टूरिज्म से मिला हर घर को रोगजार, लाखों में कमाई
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युवाओं ने बदली बस्तर के गांव की किस्मत, एडवेंचर टूरिज्म से मिला हर घर को रोगजार, लाखों में कमाई

Chhattisgarh News: प्रकृति की गोद में बसा धुड़मारास गांव घने जंगलों से घिरा हुआ है. गांव के बीच से बहती कांगेर नदी इसे मनमोहक बना देती है. ड़मारास गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन की ओर से सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के उन्नयन कार्यक्रम के लिए चयनित किया गया है. यह दुनिया के 20 ऐसे खूबसूरत गांवों में शामिल हुआ है, जहां पर्यटन का विकास हुआ है. 

युवाओं ने बदली बस्तर के गांव की किस्मत, एडवेंचर टूरिज्म से मिला हर घर को रोगजार, लाखों में कमाई

Dhudmaras Village Chhattisgarh: बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित धुड़मारास गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन की ओर से सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के उन्नयन कार्यक्रम के लिए चयनित किया गया है. आखिर क्या है यहां जिसकी वजह से ये खिताब इस बेहद छोटे से गांव को मिला है..

जगदलपुर से कोई 40 किलोमीटर दूर धुड़मारास सुर्खियों में है. यहां के एक आदिवासी नौजवान और गांव वालों ने मिलकर वो कर दिया जो भारत के दूसरे गांव नहीं कर पाए. इस नौजवान का नाम है मान सिंह. मान सिंह की पहल और सोच ने गांव के लोगों का जीवन और वहां की अर्थव्यस्था बदल दी. मान सिंह और गांव वालों ने महज दो साल में लोकल रिपोर्स का इस्तेमाल करके सस्टेनेबल डेवलपमेंट का वो मॉडल पेश किया है, जिसकी मिसाल दी जा रही है. मान सिंह मुंबई में इंफ्रास्ट्रक्चर की बड़ी कंपनी में काम करता थे. कोरोना में नौकरी गई तो गांव लौट आए. पास में तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर घाटी और कुटुंबसर गुफा है. लिहाजा पर्यटन आते थे. शुरुआत इन पर्यटकों के लिए होम स्टे के साथ की.

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पर्यटकों के ठहरने के लिए बेहतर सुविधा
प्रकृति की गोद में बसा धुड़मारास गांव घने जंगलों से घिरा हुआ है. गांव के बीच से बहती कांगेर नदी इसे मनमोहक बना देती है. बस्तर के लोग मेहमाननवाजी के लिए जाने जाते हैं. यही वजह है कि स्थानीय लोग अपने घरों को पर्यटकों के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं ठहरने की सुविधा उपलब्ध करवाने से उन्हें रोजगार मिल रहा है. गांव के युवा पर्यटकों को आसपास के क्षेत्रों की सैर कराते हैं. स्थानीय खानपान के अंतर्गत पर्यटकों को बस्तर के पारम्परिक व्यंजन परोसे जाते हैं. जो भी पर्यटन यहां आता है. इस जगह को खूब एन्जॉय करता है.

हर घर को मिला रोजगार
गांव वालों ने कम समय में लोकल रिसोर्स का इस्तेमाल करके अपनी पहचान बनाई है. साहसिक खेलों में और जंगल की रखवाली में हर घर के एक वय्क्ति को काम मिला है. 35 लोग साहसिक खेलों में और 5 लोग बाकी 5 लोग जंगल की रखवाली में तैनात रहते हैं. आय का हिस्सा दो भागों में बांटा जाता है. आधा काम करने वाले लोगों का और आधा गांव के विकास का होता है. इन पैसों से गांव में सामुदायिक भवन बनाया गया है. 

बस्तर से रुपेश गुप्ता की रिपोर्ट

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