State Assembly Elections in 2023:  पांच राज्यों में चुनाव होने के बाद 4 राज्यों के नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं. 4 राज्यों में से 3 में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ रहा है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ राजस्थान में भी बीजेपी जीत की ओर बढ़ रही है. लेकिन मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार न देने के बावजूद कैसे राजनीति के जादूगर माने जाने वाले अशोक गहलोत को बीजेपी ने मात दी. आइए जानते हैं इसकी वजहें...


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राजस्थान में कांग्रेस की हार और बीजेपी की जीत के प्रमुख कारण


1- पीएम मोदी का जादू
राजस्थान में अशोक गहलोत का जादू नहीं चला, बल्कि पीएम मोदी की लहर देखी गई.राजस्थान में इस बार भाजपा ने विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा था और चुनाव में पीएम मोदी का जादू चलते दिखा.


2- सामूहिक नेतृत्व का लाभ बीजेपी को मिला
बीजेपी ने गुटबाजी से बचने के लिए वसुंधरा राजे का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर आगे नहीं किया.बल्कि कद्दावर नेता अशोक गहलोत के आगे सामूहिक नेतृत्व में आगे बढ़ने का फैसला लिया. इससे पार्टी में वैसी गुटबाजी और खींचतान देखने को नहीं मिली, जैसी कांग्रेस में थी.


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3- दिग्गजों को टिकट


भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 7 सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था. महंत बाबा बालक नाथ अलवर से सांसद थे और भाजपा ने उन्हें तिजारा विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा.  इसके अलावा जालौर की सांचौर विधानसभा सीट से भी भाजपा ने वर्तमान भाजपा सांसद देवजी पटेल को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया. बासी सीटों पर बीजेपी का यह दांव सफल होते दिख रहा है।


4-लोगों की समझ आई पीएम की बात
भाजपा में नरेंद्र मोदी समेत सभी नेताओं की बातें लोगों समझ में आईं. चुनाव के नतीजे इस बात की गवाही देते हैं. 


5. हिन्दुत्व पर फोकस
बीजेपी ने हिन्दी हार्टलैंड के बड़े राज्य राजस्थान में हिन्दुत्व पर फोकस किया. कन्हैया लाल टेलर हत्याकांड, उदयपुर और जोधपुर में सांप्रदायिक हिंसा और अशोक गहलोत को मुस्लिम तुष्टीकरण के मुद्दे पर घेरा, जिसका असर चुनाव में दिखा.


कांग्रेस की हार के प्रमुख कारण


1-नारी सुरक्षा 
 राजस्थान बीते तीन साल से महिला हिंसा के मामलों में पहले नंबर पर है. महिलाओं के प्रति अपराध को रोकने में अशोक गहलोत सरकार असफल रही. 


2- सांप्रदायिक हिंसा 
राजस्थान में सांप्रदायिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं के कारण भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है.  भाजपा ने उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड का मुद्दा खूब उठाया.


3-कांग्रेस का लचर संगठन
जमीनी स्तर पर कांग्रेस का संगठन काफी कमजोर नजर आता है. एक समय था जब कांग्रेस सेवा दल, महिला कांग्रेस, सर्वोदय, यूथ कांग्रेस जैसे संगठन पार्टी के लिए खूब काम करते थे, लेकिन इस बार पार्टी अशोक गहलोत के भरोसे ही चुनाव जीतने की सोच रही थी.


4-नेतृत्व में विश्वास की कमी
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व और राज्य के नेतृत्व में भी विश्वास और समन्वय नहीं दिखा. भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी को एक जननेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की गई. गहलोत ने चुनाव में हाईकमान की एक भी बात न सुनी.राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के गुटों में तकरार पहले दिन से ही उजागर थी.


5-पीएम मोदी पर बयानबाजी 
कांग्रेस के नेताओं ने पीएम मोदी को टारगेट करने की विफल कोशिश की. हर बार भाषाई सीमा लांघी गई. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित बयान दिया था. कांग्रेस की हार के पीछे बागी भी बड़ी वजह माने जा रहे हैं.


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