Madhya Pradesh Election 2023: मध्य प्रदेश की सत्ता के सिंहासन पर कौन राज करेगा, इसका फैसला 3 दिसंबर,यानी आज हो जाएगा. एमपी में पिछले 20 साल में सवा साल का समय छोड़ दें तो बीजेपी ही सत्ता में काबिज रही है. 1992 के बाद से बीजेपी ने ऐसे सत्ता का समीकरण बदला है.
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Madhya Pradesh assembly election 2023: मध्यप्रदेश में 1952 से 2013 तक सरकार किसी की बनी हो लेकिन जनता ने कभी त्रिशंकु विधानसभा नहीं बनाई. साल 2018 में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत से सिर्फ 2 सीटें कम मिली थीं, हालांकि बीजेपी का वोट प्रतिशत ज्यादा था. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए 17 नवंबर को वोट डाले गए और इनकी गिनती 3 दिसंबर को होगी और नतीजे सभी के सामने होंगे. मध्य प्रदेश में पिछले 20 साल में सवा साल का समय छोड़ दें तो भाजपा ही सत्ता में काबिज रही है. 1992 के बाद से बीजेपी ने कैसे सत्ता के समीकरण को बदला.
खिलेगा कमल या कमलनाथ करेंगे कमाल
मध्य प्रदेश में कमल खिलेगा या कमलनाथ कमाल करेंगे. इसका फैसला 3 दिसंबर को मतगणना वाले दिन हो जाएगा. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए एग्जिट पोल किए गए. प्रदेश की जनता ये जानने के लिए बेताब है कि इस बार सत्ता में कौन सी पार्टी आने वाली है.
एबीपी सी वोटर एग्जिट पोल के अनुसार, 230 सदस्यीय मध्य प्रदएस विधानसभा में 62 सीमांत सीटें ऐसी हैं जो सरकार गठन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. एग्जिट पोल के मुताबिक, समान वोट शेयर के भीतर 62 सीमांत सीटों में से कांग्रेस 23 सीटें जीत सकती है जबकि बीजेपी को 34 सीटें जीतने का अनुमान है. वहीं दो से 8 सीटें अन्य को मिल सकती हैं. बता दें कि एमपी में 17 नवंबर को मतदान हुआ था. वहीं वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी.
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा मध्य प्रदेश में जबरदस्त जनादेश के लिए तैयार है. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के अनुसार, मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने जा रही है. बीजेपी 140-162 सीटें जीत सकती है. जबकि कमलनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही कांग्रेस 68-90 सीटों के अनुमान के साथ काफी पीछे है. हालांकि, नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे, लेकिन उससे पहले एग्जिट पोल के रुझान ने सियासी समीकरण और गुणा-भाग की चर्चाओं को तेज कर दिया. ऐसा कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश चुनाव में I.N.D.I.A गठबंधन में फूट के चलते कांग्रेस और कमलनाथ को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है.
सरकार बनाने के लिए चाहिए 116 सीटें
राज्य में 230 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत होगी. बीजेपी के लिए औसत सीट अनुमान 152 है और कांग्रेस के लिए 76 है. अन्य एग्जिट पोल ने भी मध्य प्रदेश में बीजेपी की जीत की संभावना जताई है. हालांकि, पोलस्ट्रैट सर्वे में कांग्रेस को बढ़त मिलने का अनुमान जताया गया है.
1972 तक Congress को स्पष्ट जनादेश
साल 1952 से अब तक 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इन 71 साल में 40 वर्ष कांग्रेस का शासन रहा और BJP करीब 21 सालों तक सत्ता में रही. 1977 से 1980 के बीच 3 साल तक जनता पार्टी की सरकार रही. समय के साथ सत्ता परिरवर्तन होता रहा. जब कभी भी वोटिंग की बारी आई तो एमपी की जनता ने सत्ता में आने वाली पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया. 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई और उसे 232 सदस्यों वाली विधानसभा में 194 सीटों पर जीती. 1962 में विधानसभा में सीटों की संख्या परिसीमन के बाद 288 हो गई. इस चुनाव में भी कांग्रेस एकतरफा जीती. इस चुनाव में कांग्रेस को 142 और जनसंघ को 41 सीटें मिलीं. 1967 के 296 सदस्यों वाली विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस 167 और जनसंघ को 78 सीटें मिलीं. यानी कि सत्ता में रहने वाली पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला. साल 1972 में भी कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला.
इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत
आपातकाल के बाद पूरे देश में कांग्रेस विरोधी लहर चल थी. कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के विपक्षी दलों ने एकजुट होकर जनता पार्टी (Janta Party) बनाई. जनसंघ, सोशलिस्ट पार्टी समेत कई पार्टियों का जनता पार्टी में विलय हुआ. साल 1977 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई. जनता पार्टी को 230 सीटों पर जीती और कैलाश जोशी मुख्यमंत्री बने. कांग्रेस को 84 सीटों से संतोष करना पड़ा. साल 1980 में मध्यावधि चुनाव हुए तो कांग्रस पार्टी 246 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत के साथ शासन में लौटी. जनसंघ से नाम बदलने के बाद भारतीय जनता पार्टी को 60 सीटें मिलीं. वर्ष 1985 में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. बीजेपी विपक्ष में बैठी.
2003 से 3 बार BJP को पूरा बहुमत
साल 2003 में प्रमोद महाजन बीजेपी के चुनावी रणनीतिकार बने. तब तक मध्यप्रदेश से निकलकर छत्तीसगढ़ नया राज्य बन चुका था. विधानसभा की 230 सीटों के लिए चुनाव में बीजेपी को जनता ने पूर्ण बहुमत दिया. उसके बाद से लगातार 2018 तक भाजपा एमपी की सत्ता में काबिज रही. साल 2008 में भी बीजेपी की सीटें कम तो हुईं मगर 143 सीटों के साथ शिवराज सिंह चौहान ने पूर्ण बहुमत दिया. वर्ष 2013 में मोदी लहर आने से पहले जनता ने तीसरी बार प्रचंड बहुमत दिया.
मंदसौर गोलीकांड के बाद 2018 में विधानसभा चुनाव आयोजित किए गए. इस चुनाव में पहली बार किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस ने 114 सीटें जीतीं, जो पूर्ण बहुमत से दो कम थीं. बीजेपी 109 सीटों पर जीती. 2018 के चुनाव में बीजेपी को वोट प्रतिशत के हिसाब से कांग्रेस से ज्यादा था, मगर उसे 56 सीटों का नुकसान हो गया. कांग्रेस ने साल 2013 के मुकाबले 4 फीसदी वोट ज्यादा पाए और वह 56 सीटों के फायदे में थी.
MP विधानसभा चुनाव में 77.15 फीसदी वोटिंग
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार 77.15 फीसदी वोटिंग हुई, जो साल 2018 की तुलना में 1.52 फीसदी ज्यादा था. एमपी में सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा इसका सबसे सटीक अनुमान अलग-अलग एग्जिट पोल के जरिए लगाए गए. बता दें कि मध्य प्रदेश में कुल पुरुष मतदाताओं में से 78.21 वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि कुल पात्र महिलाओं में से 76.03 फीसदी ने वोट दिया.
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