Bar Association Election : बार एसोसिएशन का UP में कैसे होता है चुनाव, जानें इलेक्शन से लेकर वकीलों तक पूरी डिटेल
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Bar Association Election : बार एसोसिएशन का UP में कैसे होता है चुनाव, जानें इलेक्शन से लेकर वकीलों तक पूरी डिटेल

Bar Association Election : उत्तर प्रदेश में बार एसोसिएशन का चुनाव जिलों में कैसे कराया जाता है, जाने हाईकोर्ट बार काउंसिल के नियम कायदे

Bar Association Election (फाइल फोटो)

Bar Association Election : बार एसोसिएशन का चुनाव उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में हो रहा है. नोएडा अलीगढ़, हापुड़ जैसे जिलों के बाद गाजियाबाद में बार एसोसिएशन इलेक्शन हो रहा है.बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश प्रयागराज ने 21 दिसंबर 2022 को बार एसोसिएशन के चुनाव के संबंध में बायलॉज जारी किया था. इसी के तहत बार एसोसिएशन चुनाव हो रहा है. ऐसे में विभिन्न पदों पर चुनाव कराया जा रहा है. बार एसोसिएशन मेरठ का चुनाव जनवरी में संपन्न होगा.

किस पद के लिए कितनी योग्यता----

अध्यक्ष - वकालत का अनुभव
अध्यक्ष- 25 वर्ष या अधिक
कनिष्ठ उपाध्यक्ष-20 वर्ष या अधिक
सचिव महामंत्री- 15 वर्ष या अधिक
कोषाध्यक्ष - 10 साल या अधिक
सह सचिव - 5 वर्ष या अधिक
प्रशासन- 5 वर्ष या अधिक
वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य-15 साल या अधिक
कनिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य- 10 साल या अधिक

जिलों में चुनाव समिति...

गाजियाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र कौशिक का कहना है कि बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी की अलग-अलग जिलों में कमेटी होती है, जिसमें 10 से 21 तक सदस्य होते हैं. बार एसोसिएशन चुनाव की निगरानी और समन्वय के लिए उस कोर्ट के पांच वरिष्ठ वकीलों की एक कमेटी बनाई जाती है. बार एसोसिएशन के सदस्य भी इसमें मदद करते हैं.

मेंबरशिप लेने वाले वकील करते हैं मतदान

गाजियाबाद बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी में 17 सदस्य हैं. जिले में पिछले साल 2517 वकील थे, जिन्हें वोटिंग राइट था, जो इस बार 3 हजार से ज्यादा हो सकता है. वोट डालने का अधिकार पाने के लिए सालाना मेंबरशिप लेनी पड़ती है. सदस्यता के लिए सालाना 1100 से 2100 रुपये तक शुल्क होता है.  

बार एसोसिएशन एडवोकेट एक्ट के अधीन
बार एसोसिएशन वकीलों की एक एसोसिएशन है. जो अधिवक्ताओं के आचरण को नियंत्रित करने का काम करती है. कुछ एसोसिएशन सदस्यों से जुड़ी सुविधाओं के लिए ही काम करती हैं. एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 17(4) के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को एक से ज्यादा स्टेट बार काउंसिल में एडवोकेट के तौर पर रजिस्टर नहीं किया जा सकता. अधिवक्ता एक से ज्यादा बार एसोसिएशन के मेंबर बन सकते हैं.

बार काउंसिल और बार एसोसिएशन में अंतर 
स्टेट बार काउंसिल एक कानूनी सिस्टम है.एडवोकेट्स एक्ट 1961 (Advocates Act 1961) के जरिये इसका गठन हुआ. यह राज्य के वकीलों का प्रतिनिधित्व करती है. साथ ही उस राज्य में वकालत के पेशे से जुड़ी बातों पर महत्वपूर्ण निर्णय लेती है. 

एनरोलमेंट के लिए नियम
किसी भी राज्य के कोर्ट और हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए उस स्टेट के बार काउंसिल में एनरोलमेंट कराना जरूरी होता है. हालांकि भारत में कोर्ट में वकालत के लिए बार एसोसिएशन में नामित होना जरूरी नहीं है.

अधिवक्ताओं के आचरण की निगरानी
बार एसोसिएशन ऐसे वकीलों की एसोसिएशन है, जो किसी विशेष जिले या कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं.वकीलों के आचरण पर निगरानी के साथ यह संबद्ध वकीलों के लिए वेलफेयर स्कीम भी चलाती है. जैसे, गौतम बुद्ध नगर बार एसोसिएशन, मेरठ बार एसोसिएशन, गाजियाबा कोर्ट बार एसोसिएशन

मताधिकार के नियम
बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) ऐक्ट 2015 के अनुसार, एक लॉयर बार एसोसिएशन में ही मताधिकार का इस्तेमाल कर सकता है. बार एसोसिएशन मौजूदा समय में एक एडवोकेट यूनियन बन के रह गई है.

बार काउंसिल या बार एसोसिएशन की जिम्मेदारी
1. किसी शख्स को एडवोकेट के तौर पर नामांकन कराने के साथ रजिस्टर्ड कराना. 
2. संबद्ध लॉयर्स के खिलाफ कदाचार के मामलों पर विचार करना और जरूरी कार्रवाई करना
3. अधिवक्ता के अधिकारों,विशेषाधिकारों और हितों का बचाव करना
4. कानूनी सुधार की दिशा में काम करना
5. गरीबों को मुफ्त विधिक सहायता मुहैया कराना, कानूनी सलाह उपलब्ध कराना
6. बार एसोसिएशन सदस्यों का चुनाव करना 
7. अधिवक्ताओं से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं को लागू कराना, कोष एकत्रित करना

बार कौंसिल का चुनाव 6 साल में 
हाईकोर्ट बार कौंसिल का चुनाव 6 साल में होता है और अगला चुनाव 2024 में होना है. 

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