मो. गुफरान/प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती शुरुआत से ही सुर्खियों में बनी हुई है. अब इस शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में अच्छे अंको से पास होने वाली अर्चना तिवारी का चयन सवालों के घेरे में आ गया है. दरअसल, अर्चना तिवारी का चयन जनरल कैटेगरी में होने की बजाय ओबीसी कैटेगरी में हुआ है. अर्चना तिवारी का अंक पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.


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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे अंक पत्र को देख कर लोग भी हैरान हैं कि आखिर जनरल कैटेगरी की अभ्यर्थी का सेलेक्शन कैसे ओबीसी कैटेगरी में हो गया है? यही नहीं, अभ्यर्थी के अंको के गुणांक के आधार पर बेसिक शिक्षा परिषद ने उसे गृह जिला आजमगढ़ आवंटित कर दिया है. बेसिक शिक्षा परिषद की शिक्षक भर्ती का रिजल्ट आने के बाद तमाम प्रतियोगी कई अभ्यर्थियों के अंक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल कर परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने वालों पर सवाल खड़े कर रहे हैं.


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आजमगढ़ की जिस अर्चना तिवारी का अंकपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है उस पर पिता का नाम जगदीश प्रसाद दर्ज है. अभ्यर्थी ने 150 में से 114 अंक हासिल किए हैं. लेकिन अंकपत्र पर उनकी कैटेगरी ओबीसी लिखे जाने को लेकर हड़कम्प मचा हुआ है. बेसिक शिक्षा परिषद ने भी अर्चना को गृह जनपद आवंटित कर दिया है, जिसमें उनकी रैंक 13520 वीं है. वहीं इस पूरे मामले में सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी का कहना है कि अभ्यर्थी को ऑन लाइन आवेदन करना होता है.


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ऐसे में अर्चना तिवारी ने मूल आवेदन में ओबीसी ही लिखा है, इसलिए उनका चयन ओबीसी कैटेगरी में हुआ है. उन्होंने कहा है कि फॉर्म भरते समय भी अभ्यर्थी को एक बार प्रिन्ट लेकर सही जानकारी भरने का मौका मिलता है. लेकिन फॉर्म फाइनल सबमिट करने के बाद उसमें कोई संशोधन नहीं किया जा सकता है. सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी के मुताबिक फॉर्म भरते समय अभ्यर्थी घोषणा भी करता है कि उसने जो जानकारियां भरी हैं वे पूरी तरह से सही हैं.


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उनके मुताबिक काउसिलिंग के समय अभ्यर्थी को ऑनलाइन आवेदन वाले सभी डॉक्यूमेंट का वेरीफिकेशन कराना होता है. ऐसे में यदि अभ्यर्थी ओबीसी का सर्टिफिकेट नहीं पेश करेगा तो चयन समिति द्वारा उसका अभ्यर्थन निरस्त कर दिया जाएगा. सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी के मुताबिक इसी भर्ती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी अभ्यर्थियों की मानवीय त्रुटि सुधार की मांग की याचिकाएं खारिज कर दी हैं. कोर्ट ने ऐसे अभ्यर्थियों को कोई राहत न देते हुए कहा है कि फॉर्म भरने में गलती को मानवीय त्रुटि नहीं माना जा सकता है.


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