लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए एक अहम कदम उठाने जा रही है. राज्य में फाइलेरिया (हाथी पांव) बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग 21 दिसंबर से प्रदेश के 8 जिलों में एक अभियान चलाएगा. यह 8 जिले हैं, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद, गाजीपुर, कन्नौज, कौशांबी, रायबरेली और सुल्तानपुर. इस संबंध में बीते मंगलवार मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान की तैयारियों की समीक्षा की गई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें, फाइलेरिया एलीमिनेशन प्रोग्राम की गंभीरता को देखते हुए, इसे मिशन के तौर पर चलाया जाएगा. पंचायती राज, शिक्षा विभाग, ग्राम्य विकास, नगर विकास, समेकित बाल विकास योजना, समाज कल्याण एवं सूचना विभाग के उपस्थित अधिकारियों से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान को सफल बनाने के लिए आपस में समन्वय बनाकर कार्य करने का अनुरोध किया गया है.


ये भी पढ़ें: बुजुर्ग माता-पिता की संपत्ति हथियाई तो छोड़ेगी नहीं योगी सरकार, आएगा नया ड्राफ्ट


1 करोड़ 85 लाख लोगों को दी जाएगी दवा
इस अभियान में सभी वर्गों के 1 करोड़ 85 लाख 45 हजार 664 लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डीईसी (डाई एथायिल कार्बामेजिन साइट्रेट) और अल्बेंडज़ोल, दोनों दवाइयों की निर्धारित खुराक ट्रेंड स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाएंगे.  


ये भी पढ़ें: First Date पर ही कर देंगे ये काम, तो इम्प्रेशन की बजाय झेलना पड़ सकता है Rejection


इन व्यक्तियों को नहीं दी जाएगी दवा
किसी भी आपातस्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जाएगा. साथ ही दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएंगी. ब्लड प्रेशर, शुगर, अर्थराइटिस या किसी और सामान्य बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को ये दवाएं खानी हैं. नॉर्मल लोगों को यह मेडिसिन खाने से कोई साइड-एफेक्ट नहीं होगा.


ये भी पढ़ें: अवैध खनन रुकवाने पहुंचे SDM को ट्रैक्टर से कुचलने की कोशिश, हिरासत में आरोपी


क्या है फाइलेरिया?
इस बीमारी को अंग्रेजी में फाइलेरिया और हिंदी में हाथी पांव कहते हैं.भारत में इसके मरीज सबसे ज्यादा हैं. फाइलेरिया बीमारी का संक्रमण आमतौर से बचपन में होता है, लेकिन इस बीमारी के लक्षण 7 से 8 साल के बाद ही दिखाई देते हैं.


फाइलेरिया बीमारी फाइलेरिया संक्रमण मच्छरों के काटने से फैलती है. ये मच्छर फ्युलेक्स और मैनसोनाइडिस प्रजाति के होते हैं, जिसमें मच्छर एक धागे समान पैरासाइट को छोड़ता है. यह पैरासाइट हमारी बॉडी में घुस जाते हैं. यह बॉडी में जा कर मल्टीप्लाई करते हैं और ब्लड में पहुंचकर बीमारी फैलाते हैं.


WATCH LIVE TV