ज्ञानवापी मस्जिद-शृंगार गौरी मंदिर (Gyanvapi Shringar Gauri dispute) मामले में वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले को लेकर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तल्ख टिप्पणी की है. ओवैसी (AIMIM chief) ने आगाह करते हुए कहा कि ज्ञानवापी केस भी बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) के मामले की तरफ जा रहा है. जिस बात का डर था, वही हो रहा है. उनका कहना है कि अब देश में बहुत कुछ शुरू हो जाएगा. एआईएमआईएम  नेता ने कहा, अगर ऐसा फैसला आता है तो प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट का क्या मतलब रह गया.अब देश में बहुत कुछ शुरू हो जाएगा. उनके इस बयान पर सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने जबरदस्त तरीके से पलटवार किया है.


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बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट में यह कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 के बाद अयोध्या को छोड़कर किसी अन्य मंदिर-मस्जिद या अन्य धर्मस्थल की प्रकृति को नहीं बदला जा सकता. इसे तोड़ा नहीं जा सकता, लेकिन याचिकाकर्ता ने इसे तोड़ने की मांग कहां की है. उसने तो सिर्फ इसके एक छोटे से हिस्से में पूजा की इजाजत मांगी है. इससे कानून तोड़ने या बदलने की बात कहां आ जाती है. 


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ओवैसी ने कहा, जब जमीन का एक्सचेंज होता है तो वही मालिक होता है. यहां प्रापर्टी का एक्सचेंज हुआ है, जिसके बाद ही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भव्य उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने किया था. हैदराबाद के बड़े नेता ने कहा, 1883-84 का खसरा है, उसमें उर्दू में साफ तौर मस्जिद के बारे में लिखा है. 1942 में वक्फ मस्जिद का आदेश इश्यू किया गया था.उन्होंने कहा,जिस बात का डर था वही हो रहा है.विवाद खत्म करने के लिए कानून बना था, लेकिन देश को 80-90 के दशक की ओर ले जाया जा रहा है.


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अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (Anjuman Intezamia Masjid Committee) को हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए.ओवैसी मुस्लिमों से जुड़े मामलों में खुलकर प्रतिक्रिया देते रहे हैं. उन्होंने कहा, यह देश को अस्थिरता की ओर ले जाना वाला है. जब बाबरी मस्जिद से जुड़ा फैसला दिया गया था, तभी मैंने सबको आगाह करते हुए कहा था कि ये देश में समस्याएं लेकर आएगा. यह विश्वास के आधार पर दिया गया फैसला था. अगर ये केस आगे बढ़ा तो पूजा स्थल कानून ( Places of Worship Act 1991) फेल हो जाएगा. 


वाराणसी कोर्ट ने पांच महिलाओं की ओर से शृंगार गौरी मंदिर केस में दायर याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुनाया है. उसने याचिका को सुनवाई योग्य माना है. हिंदू पक्ष जहां इसको लेकर जीत के दावे कर रहा है. वहीं मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. 
 


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