लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी दलित वोटबैंक को लेकर आक्रामक रणनीति पर काम कर रही है. एक ओर जहां अखिलेश बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण कर रहे हैं वहीं डॉ भीम राव अंबेडकर की जन्मस्थली से भी सियासी संकेत देने की योजना है.
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विशाल पांडेय/लखनऊ : समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव 2024 लोकसभा चुनाव से पहले दलित वोट बैंक को लेकर कड़ी मेहनत करते नज़र आ रहे हैं. रायबरेली में कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद अखिलेश अब संविधान निर्माता बाब साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के गांव महू जाएंगे. वह 14 अप्रैल को डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती पर इंदौर के महू में अंबेडकर स्मारक का दौरा करेंगे. खास बात यह है कि अखिलेश यादव के साथ राष्ट्रीय लोकदल RLD अध्यक्ष जयंत चौधरी और आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद भी मौजूद रहेंगे. तय कार्यक्रम के मुताबिक अखिलेश,जयंत और चंद्रशेखर बाबा साहेब अंबेडकर के स्मारक में श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे.
दलित वोट बैंक पर नजर
अखिलेश के इस कदम को 2024 लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल यूपी के लगभग 21 फीसदी दलित वोट बैंक पर अखिलेश की नज़र है. इसीलिए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष इन दिनों ओबीसी, अल्पसंख्यक के साथ साथ दलित वोट बैंक पर अधिक फोकस कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने पहली बार सपा में बाबा साहेब वाहिनी का गठन किया, यह सपा में फ्रंटल संगठन होगा.
वहीं इंदौर के महू में अखिलेश-जयंत और चंद्रशेखर के एक साथ जाने से इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि पश्चिमी यूपी में सपा और आरएलडी गठबंधन के साथ आज़ाद समाज पार्टी का भी गठबंधन आने वाले दिनों में संभव हो सकता है.
निकाय चुनाव साथ मिलकर लड़ रहे हैं
इससे पहले समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने निकाय चुनाव भी साथ लड़ने की घोषणा की है. हालांकि अभी सीटों के बंटवारे को लेकर कोई फॉर्मूला तय नहीं हआ है.
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