आखिर क्यों रामपुर एसपी सहित अन्य अधिकारियों ने हाईकोर्ट से मांगी बिना शर्त माफी?
उत्तर प्रदेश की रामपुर पुलिस को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुछ दिनों पहले फटकार लगाई थी. जिसके बाद रामपुर पुलिस के आलाधिकारी कोर्ट में पेश हुए. दरअसल, टांडा थाने की पुलिस पर अभियुक्तों से मिलीभगत, बलात्कार पीड़िता पर समझौते करने का दबाव डालने, बयान रिकार्ड न करने का आरोप था.
मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की रामपुर पुलिस को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुछ दिनों पहले फटकार लगाई थी. जिसके बाद रामपुर पुलिस के आलाधिकारी कोर्ट में पेश हुए. दरअसल, टांडा थाने की पुलिस पर अभियुक्तों से मिलीभगत, बलात्कार पीड़िता पर समझौते करने का दबाव डालने, बयान रिकार्ड न करने का आरोप था. पुलिस के इस रवैये को लेकर पीड़िता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खट-खटाया. फिर क्या था, हाईकोर्ट में मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस के आलाधिकारियों को तलब किया था. इस मामले में एसपी रामपुर ने बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगी है.
रामपुर एसपी ने बिना शर्त मांगी माफी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर की टांडा थाने में पीड़िता पर समझौते का दबाव डालने के आरोप में एसपी अशोक कुमार, एएसपी धाम सिंह मर्चल व विवेचक दरोगा आदेश कुमार कोर्ट में पेश हुए. जहां उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी. विवेचक ने आरोपी के पिता से संपर्क की बात को स्वीकार किया लेकिन समझौते के लिए धमकाने के आरोप से इंकार किया. एसपी ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि विवेचक आदेश कुमार के खिलाफ सीओ स्वार को जांच सौंपी गई है. विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गई है. साथ ही नए सिरे से दुराचार के मामले की विवेचना का निर्देश जारी किया गया है.
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कोर्ट ने पाया कुछ मामलों में नहीं हुआ कानून का पालन
हाईकोर्ट के आदेश पर उन्होंने रामपुर के पिछले एक साल के महिला अपराधों एवं पीड़िता के बयान की रिकार्डिंग का व्योरा दिया. कोर्ट में उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में संशोधित कानून का पालन नहीं किया गया है. जिसके बाद पुलिस ने आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराई जायेगी. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि निष्पक्ष व स्वतंत्र विवेचना की वह स्वयं मानिटरिंग करेंगे. कोर्ट ने सभी अधिकारियों की हाजिरी माफ कर दी. कोर्ट ने पूछा कि आडियो वीडियो क्लिपिंग विचारण अदालत में चार्जशीट के साथ पेश की गई है या नहीं? फिलहाल इस याचिका पर अगली सुनवाई अब 11 जुलाई को होगी. जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकलपीठ ने वसीम की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.
कोर्ट ने अधिकारियों को किया था तलब
बता दें कि शिकायतकर्ता के पुत्र वीरेंद्र ने हलफनामा दाखिल कर पुलिस की अभियुक्तों से मिलीभगत का आरोप लगाया था. जिसमें कहा गया था कि उनके परिवार पर पुलिस समझौते का दबाव डालकर धमका रही है. इस पर कोर्ट ने अधिकारियों को तलब किया था. वहीं, विवेचना अधिकारी ने पीड़िता के पेन ड्राइव पर दर्ज बयान को पेश किया. कोर्ट ने बयान चलवाकर देखा तो पाया कि मजिस्ट्रेट के समक्ष पीड़िता के दर्ज बयान व रिकॉर्ड हुए बयान में काफी अंतर है. जिसके बाद कोर्ट ने पेन ड्राइव को वापस कर दिया. हालांकि विवेचना अधिकारी ने सभी आरोपों से इंकार किया, किन्तु कोर्ट के पूछने पर स्वीकार किया कि अभियुक्त के पिता से उसके संबंध है. फिलहाल, विवेचना अधिकारी की जांच बिठाई गई है.
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44 मामलों में नहीं हुआ कानून का पालन
दरअसल, रामपुर में एक साल के महिला अपराधों पर एसपी ने बताया कि पिछले एक साल में एससी एसटी के विरुद्ध 74 केस दर्ज हुए हैं. जिसमें से 30 में पीड़िता के बयान की रिकार्डिंग की गई है. वहीं, 44 मामलों में कानून का पालन नहीं किया गया है. वर्ष 2021 में कुल 245 महिला यौन शोषण के अपराध पंजीकृत हैं. 241 मे कानून का पालन किया गया है. तीन में मामलों में पीड़िता का पता नहीं चल सका. एक छोटी बच्ची मृत पाई गई थी. रामपुर एसपी ने भविष्य में महिला यौनाचार पीड़िता के बयान की रिकार्डिंग कराने का हाईकोर्ट को आश्वासन दिया है.
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