UP News : यूपी के इस जिले में डंक मारने वाले बिच्‍छू को हाथों में लेकर सेल्‍फी लेते हैं लोग, जानें क्‍या है मान्‍यता
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UP News : यूपी के इस जिले में डंक मारने वाले बिच्‍छू को हाथों में लेकर सेल्‍फी लेते हैं लोग, जानें क्‍या है मान्‍यता

हजरत सैयद शाह शफरुदीन उद्दीन साहब की दरगाह में दूर दराज से आते हैं लोग. बिच्‍छू को हाथों में लेकर खेलते हैं बच्‍चे. 

UP News : यूपी के इस जिले में डंक मारने वाले बिच्‍छू को हाथों में लेकर सेल्‍फी लेते हैं लोग, जानें क्‍या है मान्‍यता

अमरोहा : जानवरों और इंसानों की दोस्‍ती पुरानी है. अभी तक इनकी दोस्‍ती की कई कहानियां हम सभी ने सुनी होंगी, लेकिन यूपी के अमरोहा जिले में इंसानों और डंक मारने वाले बिच्‍छू की दोस्‍ती देखकर हर कोई हैरान रह जाएगा. यहां इंसानों और बिच्‍छू की गहरी दोस्‍ती देखने को मिलती है. 

बिच्‍छू वाला मजार
दरअसल, यूपी के छोटे से जनपद अमरोहा में बिजनौर रोड पर हजरत सैयद शाह शफरुदीन उद्दीन साहब की दरगाह है. इसे दुनियाभर में लोग बिच्छू वाली मजार के नाम से भी जानते हैं. इस मजार का इतिहास 850 साल पुराना है. हैरानी की बात यह है कि यहां चारों तरफ बिच्छू होने के बावजूद आज तक कभी किसी इंसान को बिच्छू ने डंक तक नहीं मारा है. यही वजह इस दरगाह को औरों से खास बनाता है. 

दूर-दराज से आते हैं लोग 
इस दरगाह में दूर-दराज से हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी मन्‍नतें लेकर आते हैं. यहां आने वालों के मन में बिच्छू का कोई खौफ नहीं है. महिलाएं भी बेखौफ बिच्छू को अपने हाथों में लेकर हस्ती खेलती सेल्‍फी लेती हैं. यहां इंसानों के साथ बिच्छुओं का रिश्ता दोस्ताना का है. दिल्ली से आईं एक महिला से खास बातचीत हुई तो उन्होंने बाबा की करामात के बारे में बताया.

दुनिया की खतरनाक प्रजातियां यहां 
अगर आपको यह सिर्फ एक कहानी मात्र लग रही होगी तो आप गलत हो सकते हैं. बता दें कि दुनिया के सबसे खतरनाक बिच्छू की प्रजाति में शुमार बिछुआ को यहां पर रखा गया है. लोगों का कहना है कि बाबा का कारनामा है कि लोग जहरीले डंक मारने वाले बिच्‍छू को हाथों में लेकर खेलते हैं. बिच्छू को हाथ में लेने से जरा भी डर नहीं लगता. यहां आया एक दंपत्ति बिच्छू के साथ कितनी हंसी हंसी खेल रहा है और उसको जरा भी खौफ नहीं है. 

जानें मजार का क्‍या है इतिहास 
लोगों के मन में सवाल आता है कि बिच्‍छू के डंक हटा दिए गए होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. तस्‍वीरें देखने पर पता चल जाएगा कि इन बिच्‍छुओं के डंक सही सलामत हैं. दरगाह के सेवादार नयाब अहमद बताते हैं कि हजरत सैयद शरफ उद्दीन शाह विलायत ईरान से आए थे उनके गुरु ने उनको कहा था कि आप अपने शागिर्द बनाई है वह घूमते घूमते अमरोहा के इस धरती पर आ गए जिसका नाम पहले कस्बा अजीजपुर हुआ करता था. सेवादार नयाब अहमद की मानें तो उनके गुरु ने कहा था कि जहां आपको रोहू मछली और आम खाने को मिले तो समझ लेना कि आपकी यात्रा पूरी हो चुकी है, जब हजरत शाह विलायत साहब अमरोहा पहुंचे तो उनको अमरोहा में एक बूढ़ी औरत से खाने को भोजन मिला. इसमें आम और रोहू मछली और बगड की रोटी मौजूद थी. बस उसी दिन से उनकी मंजिल अमरोहा हो गई और उन्होंने इसी जगह पर अपना ठिकाना बना लिया. 

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