Ateeq Ahmed-Raju Pal:  प्रयागराज को उस दौर में इलाहाबाद कहा जाता था. दिन था 25 जनवरी 2005 का जब सभी लोग लोग अपने-अपने कामों में जुटे हुए थे. इसी दौरान शहर के पुराने इलाकों में शुमार सुलेमसराय में गोलियों की आवाज सुनाई दी. कुछ लोगों ने एक गाड़ी को घेरा और उसपर गोलियां चला दी.  जिस गाड़ी पर हमला किया गया उसमें इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित विधायक राजू पाल बैठे हुए थे.


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रालू पाल के साथ दोस्त की पत्नी रुखसाना बैठी हुई थी. इसी गाड़ी में संदीप यादव और देवीलाल भी बैठे हुए थे. इसके अलावा पीछे स्कार्पियो में ड्राइवर महेंद्र पटेल और ओमप्रकाश और नीवां के सैफ समेत चार लोग शामिल थे. साथ ही दोनों ही गाड़ियों में एक-एक सिपाही बैठे हुए थे.


जब फायरिंग बंद हुई तो राजू पाल को एक टैंपो में उनके समर्थक हॉस्पिटल लेकर जाने लगे. जब बदमाशों ने ये देखा तो उन्होंने टैंपो का पीछा किया और दोबारा फायरिंग शुरू कर दी. हॉस्पिटल पहुंचने तक राजू को 19 गोलियां लग चुकी थीं. डॉक्टर्स  ने उन्हें मृत घोषित किया. बता दें कि इस दिन से  दस दिन पहले ही राजू की शादी पूजा पाल से हुई.


बहुजन समाज पार्टी के विधायक थे राजू पाल 


बहुजन समाज पार्टी के विधायक राजू पाल थे. उस समय उत्तरप्रदेश में सरकार समाजवादी पार्टी की थी और मुलायम सिंह यादव सीएम थे. तत्कालीन समाजवादी पार्टी के सांसद अतीक अहमद पर राजू की हत्या का आरोप लगा. अतीक, उसके भाई अशरफ, फरहान और आबिद समेत कई लोगों पर नामजद मुकदमा राजू की पत्नी पूजा पाल ने दर्ज करवाया.


जब राजू की हत्या की खबर लोगों तो पहुंची तो उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए . साथ ही पूरा शहर उस समय जल गया. जगह-जगह पर तोड़फोड़ की गई. आगजनी हुई. घटना के पीछे का कारणों पर चर्चा करते हैं.


 शहर पश्चिमी के ही रहने वाले राजू पाल थे. कुछ लोगों का कहना है कि उस समय राजू पर भी लूट, छिनैती जैसी घटनाओं में शामिल होने का आरोप लगता था. साथ ही लोग इस बात की चर्चा करते थे कि एक समय अतीक अहमद के खास राजू पाल थे, लेकिन बाद में दोनों के बीच विवाद हो गया.  राजू ने 2002 में  भी राजनीति में एंट्री की. इसके बाद से दोनों के बीच दुश्मनी बढ़ गई. अतीक अहमद फूलपुर से सांसद 2004 में बना. इसके बाद इलाहाबाद शहर पश्चिमी सीट से उसके छोटे भाई अशरफ ने चुनाव लड़ने का मौका मिला. अशरफ के खिलाफ बसपा ने राजू पाल को टिकट दिया गया और राजू पाल चुनाव में जीत गए.


15 जनवरी 2005 में यानी विधायक बनने के तीन महीने बाद राजू पाल ने पूजा से शादी की. शादी के 10 दिन बाद राजू की हत्या की गई. हत्या कांड में हत्याकांड में अतीक अहमद और अशरफ के शामिल होने के आरोप लगे. जब उपचुनाव हुए तो बसपा ने राजू की पत्नी पूजा पाल को प्रत्याशी घोषित किया लेकिन वह चुनाव हार गईं. चुनाव अशरफ ने  जीता. 2007 में हुए चुनाव में पूजा पाल ने जीत हासिल की.


2007 में जब मायावती की सरकार बनी तो अतीक के बुरे दिन शुरू हुए. वहीं अतीक को पार्टी से बाहर सपा ने निकाल दिया. इसके बाद मायावती सरकार ने ऑपरेशन अतीक शुरू किया. साथ ही 20 हजार का इनाम रख कर अतीक को मोस्ट वांटेड अपराधी घोषित किया गया.


विधायक राजू पाल के रिश्तेदार और दोस्त उमेश पाल राजू पाल की हत्या के मामले में मुख्य गवाह थे. लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक राजू पाल हत्याकांड की पैरवी उमेश ने की थी. इसी वजह से अतीक गिरोह से उनकी खुलेआम दुश्मनी हो गई थी.  28 फरवरी 2008 को कचहरी में गवाही देने गए उमेश का अपहरण कर लिया गया था. इस अपहरण कांड में अतीक, उसके भाई अशरफ समेत कई लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज  हुई थी. अपहरण के उसी केस में बीते शुक्रवार को गवाही होनी थी. उमेश वकील थे तो वह अधिवक्ता की यूनिफार्म में अपने दोनों गनर संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह के साथ कचहरी में मौजूद थे.


 उमेश करीब साढ़े चार बजे कार से वापस सुलेमसराय, धूमनगंज स्थित अपने घर के लिए निकले. जैसे ही गेट पर गाड़ी रोककर उमेश उतरे तो बदमाशों ने उन पर गोलियां दाग दी. इस दौरान उमेश घर के अंदर गए. बदमाशों  ने बम का भी इस्तेमाल किया और बदमाश फरार हो गए. बदमाशों के फरार होने के बाद उमेश को हॉस्पिटल ले जाया गया तब डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.