Atique Ahmed Criminal History : गुजरात से यूपी लाया जा सकता है अतीक अहमद, 44 साल में माफिया डॉन पर हत्या अपहरण जैसे 100 से ज्यादा संगीन मुकदमे
Atique Ahmed Criminal History : माफिया अतीक अहमद पर 1979 में पहली बार आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. अब तक 100 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं. उसके छाेटे भाई अशराफ पर भी 44 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं.
Umesh Pal Hatyakand : प्रयागराज में उमेश हत्याकांड को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में आया माफिया अतीक अहमद अपराध की दुनिया में सेन्च्युरी लगा चुका है. माफिया अतीक अहमद पर 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं. बताया जा रहा है कि उमेश पाल हत्याकांड में अतीक को गुजरात से यूपी लाया जा सकता है.
अतीक के छोटे भाई पर 40 से ज्यादा मुकदमें
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, माफिया अतीक अहमद के खिलाफ दर्ज 100 एफआईआर में से 54 मामले यूपी की अलग-अलग अदालतों में विचाराधीन हैं. वहीं, अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ के खिलाफ 40 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. गैंगस्टर एक्ट के तहत अतीक और उसके घर वालों के सदस्यों की करीब 150 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क हो चुकी है.
अतीक की पत्नी पर पहला आपराधिक मामला दर्ज
एसटीएफ के डिप्टी एसपी नवेंदु कुमार ने बताया कि राज्य के अलग-अलग हिस्सों में अतीक के 2 बेटों उमर और अली के खिलाफ दो-तीन मामलों की जांच चल रही है. दोनों अलग-अलग जेलों में बंद हैं. इधर उमेश पाल की हत्या के मामले में अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन के खिलाफ भी पहला आपराधिक मामला दर्ज किया गया है.
44 साल पहले अपराध की दुनिया में रखा था कदम
माफिया अतीक अहमद ने 1979 में अपराध की दुनिया में पहली बार कदम रखा. एक हत्या के आरोपी के तौर पर वह पहली बार चर्चित हुआ था. इसके बाद 1989 में उसने अपनी इसी दुर्दांत छवि के साथ राजनीति की दुनिया में कदम रखा. इसी साल अतीक ने इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से निर्दलीय के रूप में जीत हासिल की. इसके बाद 1991 और 1993 में इस सीट पर अपनी जीत बरकरार रखी.
सपा से शहर पश्चिमी से चुनाव लड़ा
वहीं, 1996 में अतीक अहमद ने सपा का दामन थाम इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की. इसके बाद 1998 में समाजवादी पार्टी ने अतीक को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. सपा से बाहर निकाले जाने के बाद अतीक अपना दल में शामिल हो गया और प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा. हालांकि, यहां अतीक को हार का सामना करना पड़ा.
अपना दल और सपा से चुनाव लड़ा
इसके बाद अतीक ने 2002 के विधानसभा चुनावों में अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2003 में अतीक फिर से सपा के पाले में लौट आया और 2004 के लोकसभा चुनावों में फूलपुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की. राजनीतिक सफर आगे बढ़ ही रहा था कि साल 2005 आ गया.
2005 में चुनाव को लेकर ही हुई थी राजू पाल की हत्या
2005 में बसपा विधायक राजू पाल की प्रयागराज में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी जाती है. विधायक राजू पाल की हत्या में भी अतीक और उसके भाई को आरोपी बनाया गया. इसी साल यहां उपचुनाव कराए गए. इसमें बसपा ने राजू पाल की पत्नी पूजा पाल का अपना उम्मीदवार बनाया. पूजा पाल ने अतीक के भाई अशरफ को हरा दिया था. बता दें कि अतीक का भाई अशरफ राजू पाल हत्याकांड में बरेली जेल में बंद है.
2019 के चुनाव में भी अतीक ने किस्मत आजमाई थी
करीब 5 साल बाद यानी 2013 में फिर विधानसभा चुनाव आ गए. इस बार उसी सीट से अतीक अहमद ने अपनादल से चुनाव लड़ा. इस बार भी बसपा की पूजा पाल ने अतीक को भारी मतों से हरा दिया. इसे बाद अतीक 2014 में श्रीवास्ती से चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव हार गया. इसके बाद 2019 में भी अतीक ने वाराणसी से चुनाव लड़ा. यहां एक हजार वोट में ही सिमट गया.
WATCH: उमेश पाल के शोकाकुल परिवार से मिले पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, कहा- सांप के फन को दबाना जानती है सरकार