Azamgarh Loksabha By Election: चचेरे भाई पर अखिलेश यादव का भरोसा, जानें आजमगढ़ से SP उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव के बारे में सबकुछ
Azamgarh Loksabha By Election: अखिलेश यादव की उम्र 27 साल तो धर्मेंद्र यादव की 25 साल.. दोनों ही भाइयों ने लगभग एक साथ राजनीति शुरू की थी.. लेकिन अखिलेश आगे निकलते चले गए.. यूपी चुनाव 2022 में धर्मेंद्र यादव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया...इसके बाद भी धर्मेंद्र यादव को समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के लिए संकटमोचक कहा जाता रहा है. परिवार में सदस्यों को एकजुट रखने में उनकी बड़ी भूमिका रही है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में होने वाले लोकसभा उप चुनाव में समाजवादी पार्टी धर्मेंद यादव को चुनाव मैदान में उतारने जा रही है. आजमगढ़ सीट को लेकर सपा में काफी असमंजस था और पहले बताया जा रहा था कि पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को उम्मीदवार बना सकती है. माना जा रहा है कि मुस्लिम वोट बैंक को बचाने के लिए धर्मेंद्र यादव को चुनावी मैदान में उतारा गया.
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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आजमगढ़ के लोकसभा उप चुनाव में अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव पर भरोसा जताया है. उनके सामने बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ और बसपा के गुडडू जमाली हैं.धर्मेंद्र यादव पहले मैनपुरी और बदायूं से सांसद रह चुके हैं और अब उन्हें आजमगढ़ संसदीय उप चुनाव मे उतारा गया है. धर्मेंद्र यादव ने 2017 में शिवपाल यादव बनाम अखिलेश यादव के मतभेद में भी अहम भूमिका निभाई थी और बताया जाता है कि उन्होंने कई नेताओं को अखिलेश यादव के पाले में रखा था.
राजनीतिक करियर
2004 में मैनपुरी से बने सांसद
धर्मेंद्र यादव ने साल 2004 मे मैनपुरी संसदीय सीट से चुनाव लड़ कर जीत हासिल की. उस समय प्रदेश में भी सपा सरकार थी लेकिन 2007 में पार्टी को सत्ता से बाहर होना पड़ा और बहुजन समाज पार्टी सत्ता में आ गई. इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से चुनाव लड़ा और धर्मेंद्र यादव को बदायूं भेजा गया. मैनपुरी से बदायूं गए धर्मेंद्र ने 2009 और 2014 में यहां से भी जीते लेकिन, साल 2019 में यहां से बीजेपी ने स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डॉ. संघमित्र मौर्य को चुनावी मैदान में उतारा और धर्मेंद्र यादव को उनसे हार का सामना करना पड़ा.
ब्लॉक प्रमुख के तौर पर करियर की शुरुआत
बताया जाता है कि धर्मेंद्र यादव 2019 में हार के बाद विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. ब्लॉक प्रमुख के तौर पर कॅरियर की शुरुआत करने वाले धर्मेंद्र ने 2004 में मैनपुरी में हुए उपचुनाव को जीता. समाजवादी पार्टी ने 2009 के चुनाव में उन्हें बदायूं का टिकट दिया और उन्होंने यहां रिकॉर्ड जीत दर्ज की. 2014 में भी उन्होंने यहां पर परचम लहराया.
कुछ खास जानकारी और शिक्षा
धर्मेंद्र यादव मुलायम सिंह यादव के तीसरे नंबर के भाई अभयराम यादव के बेटे हैं. धर्मेंद्र यादव का जन्म 3 फरवरी, 1979 को सैफई में हुआ था. उनके करीबी लोग उनको धरमाई बुलाते हैं.उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से राजनीतिशास्त्र से पोस्ट ग्रेजएट और एलएलबी की पढ़ाई की. धर्मेंद्र यादव छात्र राजनीति के दिनों से ही सक्रिय हो गए थे.
सबसे कम उम्र के सांसद बने थे धर्मेंद्र यादव
2003 में सैफई के ब्लॉक प्रमुख बने. साल 2004 में धर्मेंद्र यादव ने 14 वीं लोकसभा का चुनाव मैनपुरी से महज 25 साल की उम्र में लड़ा. यहां पर उन्होंने रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की. वह सबसे कम उम्र के सांसद बने. धर्मेंद्र यादव ने 15वीं लोकसभा के लिए बदायूं से चुनाव लड़ा और माफिया डॉन डीपी यादव को हराया. मोदी लहर के बावजूद उन्होंने रिकॉर्ड जीत के साथ अलग पहचान बनाई. धर्मेंद्र कई महत्वपूर्ण संसदीय समितियों अध्यक्ष और कई अन्य समितियों के सदस्य रह चुके हैं.
साल 2005 से 2007 तक यूपी को ऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रहे. इसके अलावा 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी में भाषण देकर चर्चा में आए थे. धर्मेंद्र यादव सपा के स्टार प्रचारक के तौर पर जाने जाते हैं.
धर्मेंद्र यादव पर हैं ये गाड़ियां
धर्मेंद्र यादव के पास गाड़ियों के नाम पर एक टोयोटा क्वालिस है. धर्मेंद्र के नाम पर एक ट्रैक्टर भी है. वहीं उनकी पत्नी उनसे ज्यादा अमीर हैं.
इनके बीच मुकाबला
मुकाबला समाजवादी पार्टी (SP), बीजेपी (BJP) और बीएसपी के बीच है. सपा ने मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया है. बीजेपी ने अपने पुराने प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को फिर से मैदान में उतारा है. वहीं BSP के टिकट पर शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली अपना दम दिखा रहे हैं.
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