Barabanki News: नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जिले बाराबंकी (Barabanki) में घाघरा नदी (Ghaghra River) का कहर जारी है. जिले की तहसील रामनगर, सिरौलीगौसपुर और रामसनेहीघाट क्षेत्र में घाघरा नदी जबरदस्त कटान कर रही है. जिसके चलते दर्जनों मकान या तो घाघरा नदी में समा गये हैं या फिर समाने की कगार पर हैं. वहीं, नदी में घरों को डूबता देख ग्रामीण अपने-अपने मकानों को खुद तोड़कर उसकी ईंट, दरवाजे और लोहे की सरिया सहित जरूरी सामग्री निकालने में जुटे हैं. 


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क्या है पूरा मामला? 
मामला बाराबंकी की रामसनेहीघाट तहसील क्षेत्र के बसंतपुर पत्रा गांव का है. तराई में बसे पत्रा गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. आधा गांव घाघरा नदी में समा चुका है. जबकि बचे गांव को नदी किसी भी समय अपने आगोश में ले सकती है. नदी के कटान की चपेट में आकर यह गांव लगभग खत्म होने की कगार पर है. ऐसे में ग्रामीण बचे पक्के मकानों को तोड़कर उसकी ईंट, दरवाजे और लोहे की सरिया निकालने के लिए हथौड़ा चला रहे हैं. दरअसल,  ग्रामीण इन जरूरी मटेरियल का किसी अन्य स्थान पर मकान बनाने में इस्तेमाल करते हैं. 


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बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि वह काफी परेशानियों से जूझ रहे हैं. पिछले डेढ़ महीने से नदी का तांडव जारी है. कभी जलस्तर बढ़ता है तो कभी कम हो जाता है. ऐसे में कटान की समस्या से उन लोगों को काफी दिक्कतें हो रही हैं. नदी का पानी बसंतपुर समेत कई गांवों के पास भी तेजी से कटान कर रहा है. 


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डीएम ने दिया मदद का आश्वासन 
हालांकि, इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीणों की मदद को लेकर बाराबंकी के जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह लगातार आश्वासन दे रहे हैं. लेकिन शायद उनका आश्वासन पीड़ितों के राहत नहीं दे पा रहा है. डीएम डॉ. आदर्श सिंह ने घाघरा नदी में समाने वाले मकानों की संख्या एक बताई है, जबकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग डेढ़ दर्जन से ज्यादा मकान नदी में समाने की बात कर रहे हैं. 


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