यूपी के आमों ने न्‍यूजीलैंड और जापान में बजाया डंका, आसमान छू रहे इस किस्म के आमों के दाम
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यूपी के आमों ने न्‍यूजीलैंड और जापान में बजाया डंका, आसमान छू रहे इस किस्म के आमों के दाम

Mango Market In Barabanki : बाराबंकी जिले के याकूती, दशहरी, गुलाबखास, हुस्नआरा और आम्रपाली समेत कई और खास रसीले आमों को खास डिमांड पर इस बार न्यूजीलैंड और जापान समेत खाड़ी देशों तक पहुंचाया जा रहा है. 

फाइल फोटो

Barabanki News : फलों के राजा आम की बात हो तो अब मलिहाबाद से भी पहले बाराबंकी का नाम लोगों की जुबान पर आता है. यहां लजीज आमों की 50 से ज्यादा किस्में पैदा होती हैं. इसमें सबसे ज्यादा डिमांड हुस्नआरा, गुलाबखास, याकूति, दशहरी और आम्रपाली जैसे खास आमों की रहती है. यह आम इस साल खाड़ी देशों के साथ-साथ न्यूजीलैंड और जापान तक भेजा जा रहा है. वहीं, इन आमों में सबसे सस्ता 30 रुपये किलो दशहरी है और सबसे महंगा 300 रुपये किलो तक हुस्नआरा आम बिकता है. बागवानों और आम व्यापारियों का कहना है कि उन्हें काफी खुशी है कि उनके यहां के आमों का अब विदेश में भी डंका बज रहा है.

न्‍यूजीलैंड और जापान पहुंच रहा बाराबंकी का आम 
दरअसल, बाराबंकी जिले के याकूती, दशहरी, गुलाबखास, हुस्नआरा और आम्रपाली समेत कई और खास रसीले आमों को खास डिमांड पर इस बार न्यूजीलैंड और जापान समेत खाड़ी देशों तक पहुंचाया जा रहा है. इन आमों को जिले का उद्यान विभाग लखनऊ के रहमानखेड़ा स्थित मैंगो हाउस तक पहुंचा रहा है.  फिर उसके बाद इन्हें वहां से ट्रीटमेंट कर सुरक्षित तरीके से विदेश भेजा जा रहा है. बाराबंकी के आमों की विदेश से आ रही इतनी डिमांड से बागवानों, व्यापारियों के साथ-साथ जिले का उद्यान विभाग भी काफी उत्साहित है.

50 तरह की आम किस्‍म पैदा हो रही 
बता दें कि बाराबंकी जिले में करीब 13,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की बागबानी होती है. जिले में याकूती, आम्रपाली दशहरी, गुलाबखास, आम्रपाली, दशहरी, बनारसी लंगड़ा, चौसा, फजली, बंबई ग्रीन, बंबई, अलफांजो, बैंगन पल्ली, हिम सागर, केशर, किशन भोग, मलगोवा, नीलम, सुर्वन रेखा, वनराज, जरदालू, दशहरी, मल्लिका, आम्रपाली, रत्ना, अर्का अरुण, अर्मा पुनीत, अर्का अनमोल, गौरजीत, बांबेग्रीन, सफेदा, सुरखा, कपूरी और थाईलैंड के आम की कुछ किस्मों समेत करीब 50 प्रकार के आम की किस्में पैदा होती हैं.

हर साल दो लाख मीट्रिक टन पैदावार 
बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यहां का मसौली, सतरिख और पूरेडलई क्षेत्र मैंगो बेल्ट कहा जाता है. यहां हर साल दो लाख मीट्रिक टन से ज्यादा आम की पैदावार होती है. यहां के हुस्नआरा, गुलाबखास और यकुति आम की मांग काफी है. अभी तक यहां का आमों की लखनऊ, गोरखपुर, अयोध्या और बहराइच के साथ नेपाल की मंडियों तक ही डिमांड थी, लेकिन इस बार यह थाइलैंड और जापान समेत खाड़ी देशों तक यह आम जा रहा है. इससे बागबानों और व्यापारियों को काफी अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. उनका कहना है कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि जिले के आमों का डंका अब पूरी दुनिया में बजने लगा है.

मलिहाबाद को टक्‍कर दे रहे बाराबंकी के आम 
बाराबंकी में आम का कारोबार करने वाले नियाज अहमद ने बताया कि बाराबंकी में आमों की किस्में ज्यादा हैं. हम लोग मलिहाबाद के आमों को भी टक्कर दे रहे हैं. वहीं किसान मोहम्मद आलम शाह और मोहम्मद अनीस ने कहा कि अगर असली आम देखना हो तो वो बाराबंकी में ही मिलेगा. आम की जो वैराइटी यहां मिलेंगी वो कहीं और नहीं मिलेंगी. 

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