Holi 2023: होली (Holi 2023) के एक दिन पहले पूरे देश में होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. लेकिन मथुरा में एक ऐसी जगह है जहां होलिका दहन की परंपरा बिल्कुल अलग है. यहां आज भी हिरण्यकश्यप और भक्त प्रहलाद की होलिका दहन की परंपरा निभाई हैं. जी हां, यहां एक ब्राह्मण पंडा 15 फुट ऊंची और 24 फुट चौड़ी होलिका से धधकती आग से होकर गुजरता है और सुरक्षित निकलकर परंपरा का निर्वहन करता है. 


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एक महीने के तप पर बैठे मोनू पंडा


दुनिया भर में मशहूर ब्रज की होली की तैयारी में आमजनों से लेकर पंडित और पुरोहित तक जुट गए हैं. इसी क्रम में छाता तहसील के गांव फालैन में जलती हुई होलिका की लपटों के बीच से होकर निकलने वाले पंडा जिनका नाम मोनू पंडा है वह एक अलग ही तैयारी में जुट गए हैं. वह एक महीने के तप पर बैठ गए हैं. गांव के लोगों ने सर्वसम्मति से मोनू पंडा का नाम तय किया है. बता दें कि  मोनू पंडा पिछले 4 सालों से जलती होली की अग्नि में से निकल रहे हैं.  होलिका दहन के दिन मुहूर्त के अनुसार होली जलाई जाती है. बता दें कि फालैन में करीब 25 से 30 फीट व्यास और 10 से 12 फीट ऊंची होली रखी जाती है.


मोनू पंड़ा ने की तप पर बैठने से पहले परिक्रमा
मोनू पंडा ने पहले प्रहलाद कुंड में स्नान कियाऔर इसके बाद भगवान प्रहलाद जी के मंदिर में दर्शन कर पूजा अर्चना की. मोनू ने गांव की परिक्रमा शुरू की.  ग्रामीणों के साथ बैंड बाजा की धुन पर गांव की परिक्रमा की गई. इस दौरान जमकर गुलाल उड़ाया गया.  मोनू पंडा एक महीने तक अन्न भी नहीं खाते वह केवल फलाहार करते हैं. इतना ही नहीं मोनू पंडा घर छोड़कर प्रहलाद जी के मंदिर पर रहते हैं और तप करते हैं.


फालैन का जलती होली को देखने आते हैं लोग
ब्रज की होली की बात ही निराली है. यहां के बरसाना की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है तो फालैन का जलती होली की आग से निकलने वाले पंडा को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते है. मथुरा के फालैन को प्रहलाद नगरी कहा जाता है. सैकड़ों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को एक बार फिर निभाने के लिए तैयारी शुरू कर दी गई हैं. हैरान करने वाली बात है कि जिस समय पंडा धधकती होलिका से गुजरता है, आग की लपटों के चलते वहां आसपास खड़े रहना भी संभव नहीं होता है, लेकिन पंडा आग के बीच से बेदाग निकल जाता है. 


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