जनरल बिपिन रावत का नाम सुनते ही दुश्मनों के पैर कांपने लगते, बीते चार दशक से बने हुए थे देश के प्रहरी
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जनरल बिपिन रावत का नाम सुनते ही दुश्मनों के पैर कांपने लगते, बीते चार दशक से बने हुए थे देश के प्रहरी

रावत ने जनरल दलबीर सिंह के रिटायर होने के बाद भारतीय सेना की कमान 31 दिसंबर 2016 को संभाली थी. वह देश के 27वें थल सेनाध्यक्ष थे. रिटायर होने के बाद बिपिन रावत को सेना प्रमुख से रिटायर होने बाद देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief Of Defence Staff) नियुक्त किया गया था. 

फाइल फोटो

CDS Gen Bipin Rawat Story: तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के कुन्नूर में बुधवार को सेना के हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद जिस बात की आशंका जताई जा रही थी आखिर वह मनहूस खबर आ ही गई.  चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन  रावत ( CDS Bipin Rawat) और उनकी पत्नी की मौत इस हादसे हो गई है. उत्तराखंड के इस लाल का जाना देश के लिए किसी आघात से कम नहीं है.  उनकी शख्सियत कुछ ऐसी थी कि उनका नाम सुनते ही दुश्मनों के पैर कांपने लगते थे. 

देश के पहले सीडीएस बने थे विपिन रावत 
रावत ने जनरल दलबीर सिंह के रिटायर होने के बाद भारतीय सेना की कमान 31 दिसंबर 2016 को संभाली थी. वह देश के 27वें थल सेनाध्यक्ष थे. रिटायर होने के बाद बिपिन रावत को सेना प्रमुख से रिटायर होने बाद देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief Of Defence Staff) नियुक्त किया गया था. आर्मी चीफ बनाए जाने से पहले उन्हें सितंबर 2016 को भारतीय सेना का उप सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था. 

पौड़ी गढ़वाल में हुआ जन्म
बता दें, जनरल विपिन रावत की जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में आर्मी बैकग्राउंड वाली फैमिली में हुआ. उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत बतौर लेफ्टिनेंट जनरल सेना को अपनी सेवाएं दे चुके हैं. उन्होंने सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला, और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकसला से पढ़ाई की. उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से मीडिया स्ट्रैटेजिक स्टडीज में पीएचडी की. रावत ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के भी छात्र रहे हैं. 

1978 में सेना में हुए शामिल 
रावत साल 1978 में सेना में शामिल हुए. उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था. उनकी पहली पोस्टिंग मिजोरम में हुई. उन्होंने इस बटालियन का नेतृत्व भी किया. जिसके बाद से सेवा के दौरान उन्होंने ब्रिगेड कमांडर सहित कई पदों पर काम किया. उनके पास  10 साल से ज्यादा का आतंकवाद रोधी अभियानों में काम करने का अनुभव है. वह बीते चार दशक से ज्यादा से अपनी सेवाएं  दे रहे हैं. 

विशिष्ट सेवाओं के लिए मिले कई सम्मान 
बता दें, विपिन रावत को जनरल रावत को अशांत इलाकों, उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद रोधी अभियानों में कमान संभालने का लंबा अनुभव है.  उन्होंने मिलिट्री फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी क्षेत्र में आतंकवाद और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष को करीब से देखा है. वह राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर और कश्मीर घाटी में एक इन्फैंट्री डिवीजन की भी कमान संभाल चुके हैं. वीरता और विशिष्ट सेवाओं के लिए उनको यूआईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम के साथ कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है. 

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