पीएफआई के बाद अब दावते इस्लामी की संदिग्ध गतिविधियों पर सवाल उठने लगे हैं. कानपुर में जगह-जगह कुछ ट्रांसपैरेंट डिब्बों के जरिए चंदे की वसूली हो रही है. आरोप है कि यह पैसा पाकिस्तान भेजा जा रहा है. पढ़ें आखिर क्यों हो रही है दावते इस्लामी पर बैन की मांग
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श्याम तिवारी/कानपुर: पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठन दावते इस्लामी पर प्रतिबंध की मांग जोर पकड़ने लगी है. कानपुर में सूफी खानकाह एसोसिएशन ने दावते इस्लामी प्रतिबंध की मांग को लेकर पैदल यात्रा शुरू की है. इंडिया फर्स्ट के नारे के साथ सूफी खानकाह एसोसिएशन यात्रा निकाल रहा है. लखनऊ पहुंचकर एसोसिएशन के पदाधिकारी मुख्यमंत्री और गवर्नर से मुलाकात करेंगे. सीएम और गवर्नर से एसोसिएशन के पदाधिकारी उत्तर प्रदेश में दावते इस्लामी की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करेंगे. सूफी खानकाह एसोसिएशन का आरोप है कि दावते इस्लामी धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों की आड़ में देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त है. दावते इस्लामी द्वारा संचालित किए जा रहे मदरसों में कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाया जा रहा है. वहीं धार्मिक और सामाजिक कार्यों के नाम पर चंदे की वसूली की जा रही है जिसे खाड़ी देशों के माध्यम से पाकिस्तान भेजा जा रहा है. पाकिस्तान चंदे की इस रकम का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों में करता है.
पीएफआई पर लग चुका है प्रतिबंध
सूफी खानकाह एसोसिएशन काफी लंबे समय से पीएफआई पर बैन की मांग को भी उठा जा रहा है. गृह मंत्रालय ने पीएफआई की देश विरोधी गतिविधियों को देखते हुए उसे बैन कर दिया है. वहीं सूफी खान का एसोसिएशन ने अब दावते इस्लामी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इससे पहले भी सूफी खानकाह एसोसिएशन दावते इस्लामी की गतिविधियों पर सवाल उठाता रहा है.
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संदिग्ध गतिविधियों पर उठे सवाल
कानपुर शहर में कई स्थानों पर ट्रांसपैरेंट बॉक्स लगाकर चंदे की वसूली की जा रही थी. सूफी खानकाह एसोसिएशन ने इस मुद्दे को उठाया था. उस वक्त शहर के कई इलाकों से ऐसे डिब्बे हटा लिए गए थे. वहीं पिछले दिनों शहर के गुरबत उल्लाह मस्जिद में भी दावते इस्लामी की गतिविधियां संचालित होने की बात सामने आई थी. उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या के बाद दावते इस्लामी का नाम सामने आया था और कानपुर में भी गुरबत उल्लाह मस्जिद में पुलिस ने छानबीन की थी.