Dhanteras 2021: दिवाली से पहले धनतेरस (Dhanteras) का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर (Kuber), यमराज और धन्वंतरि जी की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन सोने-चांदी और घर के बर्तनों को खरीदना शुभ होता है. इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा अर्चना से घर में सुख-समृद्धि का वास हो जाता है. इस साल धनतेरस 2 नवंबर (मंगलवार) के दिन मनाई जाएगी. आइए यहां जानते हैं धनतरेस क्यों मनाया जाता है और कैसे उनकी पूजा करनी चाहिए. 


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धनतेरस पूजन के लिए शुभ समय
धनतेरस पूजन

शाम 5:25 से 6.00 बजे तक


प्रदोष काल में धनवंतरी पूजन
शाम 5.38 से 8.14 तक
खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त


अभिजीत मुहूर्त
दोपहर 11.11 बजे से 11.56 बजे तक
अमृत मुहूर्त
दोपहर 11.33 बजे से 12.56 बजे तक
शुभ योग: दोपहर 2.20 बजे से 3.43 बजे तक
वृष लग्न: शाम 6.18 बजे से रात 8.14 बजे तक


क्यों मनाई जाती है धनतेरस?
मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं.  शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया. भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे, उस समय उनके हाथों में अमृत कलश था. और उस दिन कार्तिक मास की त्रयोदशी थी. इस वजह से हर साल इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा. भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा का देवता भी माना जाता है. परंपरा के अनुसार इसी दिन सोने-चांदी के आभूषण और घरों के लिए बर्तन खरीदे जाते हैं.


इस विधि से करें भगवान धन्वंतरि की पूजा...
सबसे पहले नहाकर साफ वस्त्र पहनें. उसके बाद भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें. खुद पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं. जिसके बाद भगवान धन्वंतरि का आह्वान करें, आह्ववान करने के लिए इस मंत्र का जाप करें.
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।


इसके बाद पूजा स्थल पर आसन देने की भावना से चावल चढ़ाएं. आचमन के लिए जल छोड़ें. भगवान धन्वंतरि के चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं. चांदी के बर्तन में खीर का भोग लगाएं. (चांदी का बर्तन न हो तो किसी और बर्तन में भोग लगाएं.). इसके बाद पुन: आचमन के लिए जल छोड़ें. मुंह शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं. भगवान धन्वंतरि को वस्त्र (मौली) अर्पण करें. शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वंतरि को अर्पित करें. इसके बाद भगवान धन्वंतरि को श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाएं। पूजा के अंत में कर्पूर आरती करें.


क्या करें धनतेरस के दिन?
धनतेरस के दिन अपने सामर्थ्य के हिसाब से किसी भी रूप में चांदी या अन्य धातु खरीदना अति शुभ माना जाता है. धन संपत्ति की प्राप्ति हेतु कुबेर देवता के लिए घर के पूजा स्थल पर दीप दान करें. मृत्यु देवता यमराज के लिए मुख्य द्वार पर भी दीप दान करें.


नोट : यहां पर दी गई जानकारी विभिन्न मान्यताओं और पौराणिक कथाओं पर  आधारित है. हम इनकी पुष्टि नहीं करते हैं.


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