पारस गोयल/मेरठ:जेल की चक्की का जिक्र आता है तो पुराने जमाने की यादें ताजी हो जाती हैं. जेल की चक्की से आटा पीसकर कभी रोटी बनती थी, लेकिन अब जेल की चक्की बीते जमाने की बात हो गई है. आपको जानकर हैरत होगी कि मेरठ जिला कारागार में मौजूद चक्की का उपयोग दीपावली के दीए बनाने में किया जा रहा है. यही नहीं बंदी दीपावली की हाईटेक इलेक्ट्रिक झालर भी बना रहे हैं.


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ऐसे तैयार होते हैं दीए 
मेरठ जिला कारागार में जेल की चक्की का उपयोग आजकल बंदी दीपावली का दीया बनाने में कर रहे हैं. मेरठ जिला कारागार के अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि जेल में मौजूद विशेष चक्की से दीपावली के दीए तैयार किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस चक्की में जेल की चक्की से ईको फ्रेंडली दीए बनाए जा रहे हैं. इस चक्की में सूखे गाय का गोबर मुल्तानी मिट्टी और गोंद को मिक्स कर पाउडर बनाया जाता है. फिर इसी पाउडर को सांचे में डालकर हजारों दीए बनाए जा रहे हैं.


कैदियों को दी गई विशेष ट्रेनिंग 
जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि गौशाला से गाय का गोबर लाकर चक्की में पीसा जाता है. फिर इस लेप से दीए तैयार किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि मुख्यालय के आउटलेट पर भी इन दीयों को रखा जाएगा. राकेश कुमार ने बताया कि एलईडी झालर भी कारागार के बंदी बना रहे हैं. झालर बनाने के लिए बंदियों को विशेष ट्रेनिंग भी दी गई है. बंदियों के इलेक्टिक झालर बनाने की तस्वीरें देखकर अहसास होता है कि कारागार में रहकर कोई नया गुण भी सीखा जा सकता है.


भैया दूज पर बनवाया जाएगा हलवा पूरी 
यही नहीं मेरठ जिला कारागार अभी से भैया दूज की भी खास तैयारी कर रहा है. अधीक्षक का कहना है कि कारागार में हलवा पूरी बनवा कर भाई बहन का मुंह मीठा कराया जाएगा. इससे पहले मेरठ जिला कारागार में इस बार करवा चौथ पर भी खास इंतजाम किए गए थे. करवा चौथ के अवसर पर जेल परिसर के अंदर हलवा पूरी मिष्ठान आदि का भी प्रबंध किया गया था. इस बार यहां कई महिला बंदियों ने करवा चौथ का व्रत रखा था. कह सकते हैं कि अगर कोशिश की जाए तो जेल की आबो हवा भी व्यक्ति के चरित्र और उसके व्यक्तित्व को बदल सकती है.


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