नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने पेट्रोल पर 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी को कम कर दिया गया है, जिसके बाद अब पेट्रोल की कीमत 9.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 7 रुपये प्रति लीटर कम हो जाएगी. ये वो खबर है, जो कल से आज तक में आपने कई बार पढ़ी होगी. लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर ये एक्साइज ड्यूटी होती क्या है, जिसके कम होते ही पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो गए. अगर नहीं जानते, तो ये खबर आपके काम की है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको इसके सारे गुणा भाग ले अवगत कराएंगे. 


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एक्साइज ड्यूटी क्या है? 
एक्साइज ड्यूटी या एक्साइज टैक्स ऐसा टैक्स है, जो देश के अंदर गुड्स के प्रॉडक्शन और उसकी बिक्री पर लगता है. इस टैक्स को सेन्ट्रल वैल्यू ऐडेड टैक्स (CENVAT) के नाम से भी जाना जाता है. इसकी सहायता से सरकार के लिए रेवेन्यू जनरेट किया जाता है, ताकि सार्वजनिक सर्विसेस में उसका इस्तेमाल किया जा सके. इस टैक्स की मदद से सरकार को हर साल करोड़ो रुपये मिलते हैं.  


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सेन्ट्रल एक्साइज ड्यूटी तीन प्रकार की होती है


1. Basic
1944 के सेन्ट्रल एक्साइज एंड साल्ट एक्ट के सेक्शन 3 के तहत नमक को छोड़कर भारत में बनाए गए अन्य सभी Excisable गुड्स पर एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती है. यह टैक्स सेट्रल एक्साइज टैरिफ एक्ट, 1985 के तहत लगाया जाता है, जो बेसिक एक्साइज ड्यूटी की कैटेगरी में आते हैं.


2. Additional
एडीशनल ड्यूटीज ऑफ एक्साइस ऐक्ट 1957 के सेक्शन 3 के तहत इसमें लिस्टेड गुड्स पर एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती है यह टैक्स केंद्र और राज्य सरकार के बीच में बंट जाता है, जिसे सेल्स टैक्स से अलग लगाया जाता है


3. Special
इसके तहत कुछ स्पेशल तरह के वस्तुएं आती हैं, जिन पर Excise Duty लगाई जाती है. जितनी स्पेशल वस्तुओं पर Excise Duty लगाई जानी है, उनका उल्लेख पहले से ही Finance Act में किया जाता है. 


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Excisable गुड्स क्या हैं? 
वह सारी वस्तुएं Excisable गुड्स हैं, जो सेंट्रल एक्साइज टैरिफ एक्ट 1985 के पहले और तीसरे शेड्यूल के अंतर्गत आती हैं. इन सभी पर Excise Duty लगती है, जिसमें नमक भी शामिल है. 


पेट्रोल-डीजल में एक्साइज ड्यूटी का गुणा-भाग 
देश में तेल की कीमतें केन्द्र और राज्य सरकार पर निर्भर करती हैं. कच्चे तेल का आयात करने के बाद राज्य और केन्द्र सरकार उसमें अलग-अलग टैक्स लगाते हैं. देश के सभी राज्यों में तेल के दाम अलग-अलग होने का भी यही कारण है. केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स पेट्रोल पंप पर मिलने वाले ईंधन का लगभग आधा होता है. मतलब राज्य और केन्द्र जब चाहे दाम को घटा और बढ़ा सकती है. 


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