अरुण सिंह/फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश का फर्रुखाबाद (Farrukhabad News) जिला पिछले करीब एक महीने से बाढ़ का दंश झेल रहा है. यहां पानी सिर्फ गांव ही नहीं श्मशान घाट में भी भर चुका है. लोगों को यहां चिता जलाने तक की जगह तक नहीं मिल पा रही है. लोग शवों को हाइवे पर जलाने के लिए मजबूर हैं. इससे पूरा हाइवे श्मशान में तब्दील हो चुका है. बाढ़ की वजह से लोगों की मुसबीतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. गांव में बाढ़ का पानी लगातार बढ़ने से लोग ऊंचे स्थानों पर जाने को मजबूर हैं. अपने घरों को छोड़कर लोग सड़क किनारे डेरा डालकर अस्थाई रूप से रह रहे हैं. 


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उफान पर गंगा और रामगंगा
जानकारी के मुताबिक फर्रुखाबाद में गंगा और रामगंगा दोनों नदियां उफान पर हैं. दोनों नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. नदियों के बढ़ते जलस्तर से करीब डेढ़ सौ से ज्यादा गांव प्रभावित हो रहे हैं. गांव में पानी भर जाने की वजह से लोग सड़क किनारे टेंट लगाकर रहने को मजबूर हैं. साथ ही यहां बाढ़ का पानी श्मशान घाट में भी भर चुका है, जिसके कारण लोगों को चिता जलाने के लिए जगह नहीं मिल पा रही है. लोग हाइवे पर शवों को जला रहे हैं. साथ ही बाढ़ के पानी की वजह से मक्का, मूंगफली, शिवाला की हजारों बीघा फसल बर्बाद हो चुकी है.


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बताया जा रहा है रामगंगा नदी में कटान की वजह से करीब पच्चीस गांव का मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है. महिलाएं सड़क किनारे खाना बनाकर बच्चों का पालन पोषण कर रही हैं. पर्याप्त चारा न मिल पाने की वजह से जानवर भी भूखे हैं. ऐसे में बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है. हालात यह हैं कि अगर जल्द मदद नहीं मिली तो लोग बीमार पड़ सकते हैं. बता दें कि प्रदेश में मॉनसून लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है. प्रदेश के कई नदियां उफान पर हैं. बीते दिनों गाजियाबाद के कई गांव में पानी लोगों के घरों में घुस गया था. इसके बाद लोगों को रेस्क्यू तक करना पड़ा था.  


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