जयपाल/वाराणसी: एक तरफ जहां सीएम योगी ने नवरात्रि में सभी मंदिरों में रामायण पाठ और दुर्गा शप्तसती के पाठ के निर्देश दिए हैं तो वहीं वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में रामायण शोध पीठ के लिए भी हरी झंडी दे दी है.  इस शोध पीठ में देश भर के किसी भी भाषा में लिखे गए रामचरित मानस के चौपाइयों पर शोध करने का डिप्लोमा सर्टिफीकेट दिया जाएगा.


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रामायण को लेकर यूपी सरकार लगातार बड़े कदम उठा रही है ,इसी के अंतर्गत अब संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में भी शोध पीठ स्थापित होने जा रहा है. इस शोध पीठ में कोई भी व्यक्ति रामायण पर शोध कर सकता है. बड़ी बात यह है कि पूरे देश में जितने भी भाषाओं में रामायण लिखे गए हैं उन सभी के बारे में यहां शोध कराया जायेगा.  इसके साथ ही राम चरित मानस की चौपाइयों पर भी विश्लेषण करवाया जाएगा.  बता दें कि संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी का इतिहास 232 वर्ष पुराना है.


मिलेगा बाकायदा सर्टिफिकेट
इसके साथ ही रामायण काल में वातावरण कैसा था, स्मार्ट सिटी योजना कैसी थी, समाज की व्यवस्था कैसी थी , इस पर भी शोध करवाया जाएगा.  यह योजना मुख्यमंत्री योगी की है. जिसके लिए लिए डिप्लोमा सर्टिफिकेट कोर्स भी रखा गया है.  शोध करने वाले छात्रों को बाकायदा सर्टिफिकेट दिया जायेगा. बता दें कि संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी का इतिहास 232 वर्ष पुराना है.


रामायण शोध पीठ को लेकर संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि रामायण और रामचरितमानस के चौपाइयों को लेकर जिस तरह से समाज में भ्रांतियां फैली है, उसको दूर करने के लिए रामायण शोध पीठ में शोध करवाया जाएगा.


करवाया जाएगा  रामचरित मानस के चौपाइयों पर भी शोध 
कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के हरेराम त्रिपाठी का कहना है समाज को जोड़ने के लिए रामचरित मानस के चौपाइयों पर भी शोध करवाया जाएगा.  तुलसीदास जी ने सम्पूर्ण विवेचन किया है.  यह योजना पंचवर्षीय होगी, जिसमें बुद्धजीवि शामिल होंगे. इस शोध से सामाजिक समरसता कायम हो इसपर विशेष ध्यान रखा जाएगा.


राम चरित मानस पर सवाल उठाने वालों को मुख्यमंत्री लगातार जवाब दे रहे हैं. पहले मंदिरों में रामायण और अब रामायण शोध पीठ की स्थापना जहाँ सवाल उठाने वालों को एक बेहतर जवाब है तो वहीं समाज में समरसता कायम रखने के लिए बड़ा कदम भी साबित होगा.  चौपाइयों के विश्लेषण से रामचरितमानस पर उठ रहे विवादों पर भी विराम लगेगा क्योंकि शिक्षा हमेशा जाति भेदभाव को खत्म करती है और इसी शिक्षानीति को अब मुख्यमंत्री यूपी के विकास के लिए लागू कर रहे हैं ताकि समाज से भेदभाव खत्म हो.


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