गौरव श्रीवास्तव/औरैया: बेरोजगार युवाओं के साथ फ्रॉड ठगी के नए-नए तरीके अपना रहे हैं. ऐसा ही एक मामला औरैया जिले सामने आया है. जहां पुलिस के हत्थे चढ़े गैंग के दो आरोपियों ने फ्रॉड का ऐसा तरीका अपनाया, जिसे सुनकर पुलिस भी हैरान रह गई. फिलहाल औरैया पुलिस ने इनको सलाखों के पीछे पहुंचाया है. 


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ऐसे हो रही थी बेरोजगारों से साथ ठगी
गैंग के सदस्यों के अपराध का तरीका एकदम अलग था,  लोगों से ठगी करने के लिए जिले में खुद के ही बैंक को खोले हुए थे और जिले में कई ब्रांचों को खोलने और उसमें नौकरी पर रखने के लिए लोगों से सिक्योरिटी मनी के नाम पर लाखों रुपये लेते थे, उन्हें महीने की सैलरी भी दिया करते थे. साथ ही काम कर रहे लोगों को ही शिकार कर उनके दोस्त रिश्तेदारों को नौकरी पर रखने की बात कह कर उनसे भी सिक्योरिटी मनी लेते. मामले का खुलासा तब हुआ जब एक युवक से करीब 7 लोगों को नौकरी दिलाने के नाम से मोटी रकम ली लेकिन नौकरी नहीं दी.


फर्जी बैंक बनाकर चल रहा था फ्रॉड का खेल 
इस गैंग के मास्टरमाइंड लल्ली ने पुलिस को बताया कि हम लोग खुद की एक फर्जी बैंक को बनाया, जिसका नाम भी दिया ''डिजिटल आर्यवृत लिमिटेड'' इस बैंक में लोगों को अपनी पोस्ट मैनेजर की बताता था और नौकरी लगवाने के नाम पर लाखों रुपये उन से लेता था, साथ ही उन्हें महीने की सैलरी भी देता था. 


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युवक ने दर्ज कराई शिकायत 
दिबियापुर थाने में पुलिस को एक युवक ने शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें उसने बताया कि उसे एक युवक मिला जिसने अपना नाम लल्ली बताया. उसने कहा कि वह एक प्राइवेट बैंक में मैनेजर की पोस्ट पर है, उसकी बैंक में नौकरी की जगह खाली है. इस पर मैंने कहा मुझे नौकरी की जरूरत है. तब लल्ली ने मुझ से मेरे डॉक्यूमेंट लिए यह कह कर की इस बैंक के चेयरमैन असलम उर्फ रजा हैं, जिन्हें में तुम्हारे डॉक्यूमेंट दिखाऊंगा तब बताता हूं. इसके बात मुझे लल्ली ने बुलाया और मुझको नौकरी दिलाने के नाम पर सिक्योरिटी मनी के रूप में करीब एक लाख 80 हजार रुपए लिए, जिसके बाद मुझे तीन महीनों तक 14 हजार की सैलरी भी दी.


कुछ दिनों बाद बैंक में लल्ली ने यह कहा कि हमारी ब्रांच जालौन जिले में एक और ब्रांच खोलने जा रही है. अगर तुम्हारा कोई दोस्त-रिश्तेदार हो तो उसके लिए ऑफर है और जो सिक्योरिटी मनी तुमसे लगी थी वह भी लगेगी. जिसके बाद हमने अपने अपने 7 रिश्तेदारों को बैंक में नौकरी लगवाने की बात कही और वह राजी हुए. उन सभी ने करीब 12 लाख 60 हजार रुपए दिए लेकिन महीने बीत जाने के बाद कोई जबाब नही मिला. इधर तीन महीने बाद बैंक भी बंद हो गई. जिसके बाद किसी से सम्पर्क नहीं हुआ और मेरे रिश्तेदार मुझे गाली गलौज करने लगे थे. 


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पुलिस ने मुखबीर की सूचना पर दोनों आरोपियों को घेराबंदी कर गिरफ्तार किया और निशानदेही पर बैंक में प्रयोग लाए जाने वाले डॉक्यूमेंट इनवाईटर मोबाइल सहित कई चीज़ों को बरामद किया.पुलिस अभी इन लोगों से और भी जांच कर रही है कि कहीं और जिलों में इनकी ठगी का यह कारनामा तो नहीं चल रहा था.


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