ज्ञानवापी पर रूबीना खानम के बयान पर बोले हाजी सलीस- इतिहास का ज्ञान नहीं, सस्ती लोकप्रियता के लिए दे रहीं बयान
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ज्ञानवापी पर रूबीना खानम के बयान पर बोले हाजी सलीस- इतिहास का ज्ञान नहीं, सस्ती लोकप्रियता के लिए दे रहीं बयान

ज्ञानवापी परिसर में सर्वे को लेकर सपा नेत्री रुबीना खानम का बयान सामने आया है. जिसमें रुबीना खानम ने कहा कि यदि ज्ञानवापी परिसर में पहले मंदिर था. उसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई, तो वहां दोबारा मंदिर बनने पर मुस्लिम समुदाय को ऐतराज नहीं होना चाहिए.

ज्ञानवापी पर रूबीना खानम के बयान पर बोले हाजी सलीस- इतिहास का ज्ञान नहीं, सस्ती लोकप्रियता के लिए दे रहीं बयान

कानपुर: ज्ञानवापी परिसर में सर्वे को लेकर सपा नेत्री रुबीना खानम का बयान सामने आया है. जिसमें रुबीना खानम ने कहा कि यदि ज्ञानवापी परिसर में पहले मंदिर था. उसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई, तो वहां दोबारा मंदिर बनने पर मुस्लिम समुदाय को ऐतराज नहीं होना चाहिए. रुबीना के इस बयान पर ऑल इंडिया सुन्नी उलेमा काउंसिल के राष्ट्रीय महासचिव हाजी सलीस ने कहा, "रुबीना खानम को इतिहास का ज्ञान नहीं है. वह सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए इस तरह का बयान दे रही हैं."

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मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा मंदिर को ढ़हाने की बात पूरे तरीके से निराधार: सलीस 
सलीस ने कहा, "ज्ञानवापी मंदिर जिस जगह पर था, वहां पर राजा ज्ञान सिंह की पत्नी और उनकी 2 दासियों की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद आक्रोशित राजा के सैनिकों ने मंदिर को ढ़हाने का काम किया था. मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा मंदिर को ढ़हाने की बात पूरी तरह से निराधार है. बीजेपी और आरएसएस के लोग अपने फायदे के लिए इस तरह के मुद्दों को उठा रहे हैं. मौजूदा समय के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस तरह की कवायद की जा रही है.

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कब्जे की जमीन पर नमाज पढ़ना हराम: रुबीना खानम
दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के मामले में समाजवादी पार्टी की नेता रुबीना खानम ने एक वीडियो जारी कर कहा, "अगर मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई थी, तो मुस्लिम भाइयों को उस जमीन को हिंदू भाइयों को दे देनी चाहिए. मैं मानती हूं इस मामले में हिंदू पक्ष जो दावा कर रहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी प्राचीन काल में मंदिर था, किसी शासक ने बलपूर्वक इस मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनाई थी. अगर यह साबित हो जाता है तो हमारे मुस्लिम समाज, धर्म गुरु, उलेमा को जमीन, हिंदू पक्ष को वापस दे देनी चाहिए. उलेमा को समझना चाहिए, किसी भी कब्जा या छीनी हुई जमीन पर बल पूर्वक कब्जा किया गया है, तो हमारे इस्लाम में वहां पर नमाज पढ़ना हराम है. यह बात मुस्लिम समाज के लोगों को समझनी चाहिए."

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