Gyanvapi Case : ज्ञानवापी मस्जिद शृंगार गौरी मंदिर से जुड़े 7 मामलों में आज अहम सुनवाई, हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की निगाहें टिकीं
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Gyanvapi Case : ज्ञानवापी मस्जिद शृंगार गौरी मंदिर से जुड़े 7 मामलों में आज अहम सुनवाई, हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की निगाहें टिकीं

Gyanvapi Case : ज्ञानवापी मस्जिद शृंगार गौरी मंदिर से जुड़े 7 मामलों में गुरुवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो रही है. ज्ञानवापी परिसर में कथित शिवलिंग मिलने का मामला भी हिन्दू और मुस्लिम पक्ष के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. 

GYANVAPI CASE :  ज्ञानवापी मस्जिद शृंगार मंदिर विवाद पर सुनवाई

Gyanvapi Case : ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े सात मामलों की सुनवाई गुरुवार को वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट (Varanasi fast track court) में होगी.वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद शृंगार गौरी मंदिर (Gyanvapi Masjid Shringar Gauri Mandir ) केस से जुड़े 7 मामलों की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट (महेंद्र कुमार पाण्डेय) की अदालत में होगी. भगवान आदि विश्वेश्वर की ओर से विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरण सिंह ने अर्जी दाखिल कर ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग की है.

अविमुक्तेश्वर भगवान की ओर से दिल्ली निवासी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता खजुरी निवासी अजीत सिंह की प्रार्थना पत्र पर भी आज ही सुनवाई तय की गई है. माना जा रहा है कि दोपहर 12 बजे के बाद सुनवाई हो सकती है.

वाराणसी के शृंगार गौरी ज्ञानवापी मामले में 17 अगस्त 2021 को 5 महिलाओं ने मंदिर में पूजा और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका दायर की थी. तब सिविल जज सीनियर डिविजन ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था.कथित शिवलिंग के सर्वे के आदेश पर कोर्ट ने रोक लगा दी है, लेकिन हिन्दू पक्ष ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी है. ज्ञानवापी परिसर में कथित शिवलिंग पर हिन्दू पक्ष का दावा है कि इस पूरे स्थान को संरक्षित किया जाए. यहां नमाज के लिए वजू या किसी अन्य गतिविधि की इजाजत न दी जाए. इस हिस्से को भी हिंदू पक्ष को सौंपा जाए.

उधर शाही ईदगाह और श्रीकृष्णजन्मभूमि मामला भी गरम है. शाही ईदगाह की अमीन सर्वे रिपोर्ट मांगने का फैसला आया था, जिस पर भी अदालत ने रोक लगा दी थी.दिल्ली निवासी हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ताऔर उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने सिविल जज की अदालत में ये दावा किया था. याचिका में दावा था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर ईदगाह तैयार कराई थी. 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को भी याचिकाकर्ता ने अवैध ठहराया. 

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