President Election: द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर आदिवासी समाज ने किसे कहा थैंक्यू!
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President Election: द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर आदिवासी समाज ने किसे कहा थैंक्यू!

ओडिशा के जनजाति बहुल मयूरभंज जिले के उपरवाड़ा गांव की रहने वाली द्रौपदी मुर्मू एक संथाल जनजाति से संबंध रखती हैं. आबादी के लिहाज से देखें तो संथाल जनजाति झारखंड की सबसे बड़ी आदिवासी जनजातियों में से एक है.

President Election: द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर आदिवासी समाज ने किसे कहा थैंक्यू!

धीरेंद्र मोहन गौड़/खटीमा: देश की पंद्रहवीं राष्ट्रपति के रूप में गुरुवार को द्रौपदी मुर्मू निर्वाचित हो गईं. वह राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला हैं. ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों में आदिवासी समाज ने अपने-अपने तरीके से खुशी का इजहार किया. खटीमा में भी आज रात को जनजातीय समाज के लोगों ने मिठाई खिलाकर और पटाखे फोड़कर खुशी जाहिर की. उत्तराखंड में रहने वाली थारू जनजाति के लोगों ने भी द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होने की खुशी में मुख्य चौराहे पर रात को पटाखे फोड़े.
 

पीएम मोदी का जताया अभार

बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश प्रभारी राकेश राणा ने कहा कि भारत के इतिहास में पहला मौका है जब किसी अनुसूचित जनजाति समाज का व्यक्ति वह भी महिला देश के सर्वोच्च पद पर बैठी है. इसके लिए वह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अनुसूचित जनजाति व वनवासी समाज की ओर से धन्यवाद करते हैं. द्रौपदी मुर्मू संथाल जनजाति से ताल्लुक रखती हैं. यह जनजाति भारत के सबसे बड़े आदिवासी समुदाय के रूप में जाना जाता है.

जश्न की ऐसी ही तस्वीरें उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से आईं थी, जहां राज्य मंत्री संजीव सिंह गोंड़ के नेतृत्व में लोग सड़कों पर ढोल-नगाड़ों के साथ निकले और मुर्मू की जीत का जश्न मनाया. राज्यमंत्री ने खुद ढोल बजाकर इसे गौरवपूर्ण पल बताया था.इसी तरह यूपी के देवरिया में जनजाति समाज के लोगों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति पद पर जीत की खुशी मनाई. यहां सदर विधायक के कार्यालय में लोगों ने एक दूसरे को मिठाई-खिलाई और इससे आदिवासी समाज के उत्थान को गति मिलने की बात कही.

आदिवासी नेताओं ने दी बधाई

इससे पहले द्रौपदी मुर्मू की जीत को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत शोरेने ने एतिहासिक बताते हुए कहा था कि देश जब अमृत महोत्सव मना रहा है ऐसे वक्त में आदिवासी समाज की महिला का देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचना एक बड़ा संदेश देता है.

 

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