पीपल के पेड़ के नीचे कहीं भी पत्थर और एक लाल झंडा रख दो, बन गया मंदिर, अखिलेश के बयान से गहराया विवाद
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर 1991 में संसद द्वारा पारित कानून का हवाला देते और सर्वे रिपोर्ट के लीक होने पर सवाल उठाते सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीधे-सीधे हिन्दू धर्म संस्कृति और देवी-देवताओं को लेकर विवादित बयान दे दिया है...अखिलेश यादव का बयान पर भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि अखिलेश यादव को भारतीय संस्कृति उसका इतिहास प्राचीनता भव्यता की कोई जानकारी नहीं है.
अयोध्या: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर विवाद के बीच समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने एक बार फिर मंदिर को लेकर बयान दिया है. ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर 1991 में संसद द्वारा पारित कानून का हवाला देते और सर्वे रिपोर्ट के लीक होने पर सवाल उठाते सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीधे-सीधे हिन्दू धर्म संस्कृति और देवी-देवताओं को लेकर विवादित बयान दे दिया है, जिसके बाद वो विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, हमारे हिंदू धर्म में यह है कि कहीं पर भी पत्थर रख दो, एक लाल झंडा रख दो, पीपल के पेड़ के नीचे तो मंदिर बन गया.
अखिलेश के बयान पर बीजेपी का रिएक्शन
अखिलेश यादव का बयान पर भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि अखिलेश यादव को भारतीय संस्कृति उसका इतिहास प्राचीनता भव्यता की कोई जानकारी नहीं है. अखिलेश यादव कि तुष्टीकरण की राजनीति को हिंदू समाज देख रहा है जवाब मिलेगा.
अखिलेश यादव के बयान पर भराला का पलटवार
श्रमिक कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुनील भराला ने अखिलेश यादव के कहीं भी झंडा लगा देने वाले बयान पर पलट वार किया है. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव सत्ता पाने का सपना देख रहे हैं और वह पूरा न होने पर अनर्गल बयानबाज़ी कर रहे हैं. सुनील भराला ने कहा कि अखिलेश यादव सत्ता की चाहत में ज्ञानवापी मुद्दा उलझाना चाहते हैं. पुरातत्व विभाग समेत अन्य जांच एजेंसियों को वह काम करने दें. जो सर्वोच्च न्यायालय फैसला देगा उसे माना जायेगा. सुनील भराला यहां श्रम कल्याण परिषद के माध्यम से संचालित योजनाओं के प्रसार और समीक्षा के लिए एक दिवसीय दौरे पर रायबरेली पहुंचे हैं.
बीजेपी कुछ भी कर सकती है
अखिलेश यादव ने ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के सवाल पर कहा, 'एक समय ऐसा था कि रात के अंधेरे में मूर्तियां रख दी गई थी. बीजेपी कुछ भी कर सकती है. पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि बीजेपी ने अयोध्या में रात के अंधेरे में मूर्तियां रखवा दी थीं.
ज्ञानवापी पर बोलते हुए कहा कि आखिरकार वह रिपोर्ट बाहर कैसे आ गई. सपा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे धर्म में यह है कि कहीं पर भी पत्थर रख दो एक लाल झंडा रख दो पीपल के पेड़ के नीचे मंदिर बन गया. इसलिए बीजेपी से सावधान रहिए. बीजेपी जानबूझ कर ज्ञानवापी मस्जिद का मामला उठाया रही है.
रात के अंधेरे मूर्तियां रख दी गई थीं
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर 23 दिसंबर 1949 को राम जन्मभूमि परिसर में भगवान श्री राम के मूर्ति को प्राकट्य कराए जाने का मामले को लेकर कहा-एक समय ऐसा था कि रात के अंधेरे मूर्तियां रख दी गई थीं.
उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कोई बड़ा कार्य नहीं करना चाहते हैं , वह सिर्फ होल्डिंग हटवाना चाहते हैं. गरीबों की दुकानें हटवाना चाहते हैं. कहते हैं कि बहुत गरीब हैं सड़क के किनारे बहुत होल्डिंग लग गई हैं इसको हटाया जाए.
बीजेपी जानबूझ कर मुद्दा उठा रही
अखिलेश ने कहा कि जिस तरीके से बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा उठाया जा रहा है ये स्मोक स्क्रीन है. भाजपा यह मुद्दा जानबूझ कर उठा रही है. जिस प्रकार से अंग्रेजों ने डिवाइड एंड रूल किया था. उसी तरीके से भारतीय जनता पार्टी भी कार्य कर रही है. यह सिद्धांत हजारों साल पुराना है जो कभी अंग्रेज इस्तेमाल करते थे उन्हीं सिद्धांत पर भारतीय जनता पार्टी चल रही है. हमें आपको कभी धर्म और जाति के नाम पर डरा रही है यह केवल डर जाति और हमारे मुसलमानों को डराने के लिए उठा रही है.
बुलडोजर को लेकर बीजेपी को घेरा
पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बुलडोजर पर भी पलटवार किया उन्होंने कहा की बुलंदशहर में एक पत्नी अपने पति को जगाने जा रही थी, वो पत्नी अपने पति को नहीं जगा पाई आगे बुलडोजर ने काम किया और उस के पती की जान चली गई.एक मजदूर घर से सब्जी बेचने गया जब घर लौटा तो पता चला बुलडोजर से उस का घर गिर गया. अगर सरकार बुलडोजर से घर गिरा रही है तो, मुख्यमंत्री जी ने कल ही कैंसर इंस्टीट्यूट का उद्घाटन किया है, वो अवैध है, क्या सरकार उस पर बुलजोर चलाएगी. जिस थाने में बेटी का बलात्कार हुआ क्या उस पर बुलडोजर चलेगा. वहीं राज्यपाल पर भी उन्होंने हमला बोला कहा की याद कीजिए एक राज्यपाल वो थे जो बताते थे उत्तर प्रदेश में कितने अधिकारी किस जाति के हैं, उस समय के राज्यपाल अगर अधिकारियों की गिनती जाति के हिसाब से कर सकते थे तो आज के राज्यपाल जाति के आधार पर गिनती नहीं करेंगे.
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