नई दिल्ली: भारत में कोयले से गैस बनाने की कवायद तेज होती दिख रही है. कोयले से गैस बनाने की प्रक्रिया को कोल गैसिफिकेशन ( Coal Gasification Policy) कहा जाता है और मोदी सरकार ने 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोल गैस उत्पादन का लक्ष्य रखा है. इसे हासिल करने के लिए 6000 करोड़ के जल्द टेंडर निकालने की तैयारी है. भारत के लिए कई मायनों में यह पॉलिसी महत्वपूर्ण है. इससे कम प्रदूषण यानी कम कार्बन उत्सर्जन होता है और गैस आपूर्ति भी बढ़ेगी. जी मीडिया से खास बातचीत में कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि इस नीति को अमलीजामा पहनाने के लिए 6000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.


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मंत्री ने कहा, 6000 करोड़ के टेंडर में छोटी बड़ी कंपनियां हिस्सा लेंगी. दुनिया भर में कोल गैसिफिकेशन की कोई सटीक तकनीक नहीं है. हालांकि देश में Thermax कंपनी ने कोल गेसिफ़िकेशन टेक्नोलॉजी पर काम किया है. इस कंपनी कि टेक्नोलॉजी हमारे लिए एक उम्मीद कि किरण है. 


कोल गैसिफिकेशन में ना हो कोयले की कमी
कोल गैसिफिकेशन की प्रक्रिया में कोयले की कमी ना हो इसके लिए मिनिस्ट्री ऑफ कोल ने कोल इंडिया लिमिटेड और  SCCL को विशेष निर्देश दिया है. गैसिफिकेशन कोल के लिए अलग से बोली शुरू करने की व्यवस्था की जाएगी. कोल इंडिया लिमिटेड ने कोल गैसिफिकेशन प्लांट बनाने के लिए BHEL, IOCL, GAIL जैसी कंपनियों के साथ एमओयू ( MOU) साइन कर चुकी है.


निजी और सार्वजनिक क्षेत्र साथ-साथ
कोल गैसिफिकेशन को प्रोत्साहन और प्राइवेट सेक्टर को निवेश के लिए आकर्षित करने को लेकर प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कोयला मंत्रालय गैसिफिकेशन प्लांट तैयार करने के लिए कैपिटल सब्सिडी देने का प्रावधान है. यह अधिकतम 15 फीसदी तक हो सकता है. इसका फायदा प्राइवेट और पब्लिक, दोनों कंपनियों को मिलेगा. 50 फीसदी फाइनेंशियल पेमेंट अपफ्रंट कर दिया जाएगा, जबकि बकाया का भुगतान प्लांट तैयार होने के बाद किया जाएगा.


हिंदुस्तान कॉपर के विनिवेश की फिलहाल योजना नहीं
हिन्दुस्तान कॉपर ( Hindustan Copper) के विनिवेश को लेकर कोयला मंत्री ने कहा कि फिलहाल कोई योजना नहीं है. ग्रीन एनर्जी पर उन्होंने कहा कि कोल सेक्टर ने माइनिंग से होने वाली परेशानियों को गंभीरत से लिया है. पर्यावरण संतुलन बनाने की कोशिश की जा रही है. हमारा लक्ष्य 50 फीसदी एनर्जी का उत्पादन गैर जीवाश्म ईंधन से करने का है. धीरे-घीरे पर कैपिटा पावर कंजप्शन को बढ़ाने पर भी जोर है. 2070 तक अगर जीरो इमिशन का लक्ष्य पाना है तो कोल गैसिफिकेशन पॉलिसी बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है.


गोल्ड माइनिंग एक्सप्लोरेशन पर भी चल रहा काम
गोल्ड माइनिंग की दिशा में भी काम चल रहा है. पिछले पांच सालों में 13 गोल्ड ब्लॉक की नीलामी हो चुकी है. गोल्ड एक्सप्लोरेशन में ज्यादा समय और पैसा लगता है. रेयर मिनरल्स एक्सप्लोरेशन को लेकर GSI यानी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इस दिशा में काम कर रहा है. बीते 5 सालों में देश के अलग-अलग कोने में GSI ने 172 प्रोजेक्ट्स में एक्सप्लोरेशन का काम किया है.


लीथियम उत्खनन पर काम
जम्मू और राजस्थान में लीथियम पर एक्सप्लोरेशन पर काम चल रहा है. अभी जम्मू में G3 एक्सप्लोरेशन स्टेज का एक्सप्लोरेशन चल रहा है. इसे G2 लेवल पर लेकर आना है. लीथियम एक्सप्लोरेशन का ऑक्शन कैसे होगा यह J&K को फ़ैसला होगा. निजी निवेश से कोई परहेज़ नहीं होना चाहिए लेकिन अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी.