जालौनः कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था न होने से या तो सड़कों के किनारे कूड़ा डंप किया जाता है या शहर के किसी एक हिस्से में ले जाकर पूरा कूड़ा फेंक दिया जाता है, जिससे एक ही जगह पर कूड़े का ढेर लग जाता है. कूडे़ की सड़न से उठने वाली दुर्गंध जीना दुश्वार कर देती है.


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वहीं, कई बार जोर से चलने वाली हवा के कारण कूड़ा दूर-दूर तक फैल जाता है. कूड़ा निस्तारण के नाम पर उसे जलाया जाता है, जिससे उठने वाला जहरीला धुंआ और बदबू लोगों की सेहत पर बहुत ही बुरा असर डालती है. राहगीर भी सड़क से गुजरने से कतराते हैं. इन सब परेशानियों का दूर करने के लिए नगर पालिका जालौन ने एक अनूठी पहल की है. 


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नपा क्षेत्र में बनाया जाएगा पहला एमआरएफ सेंटर
सड़कों और वार्डों में जगह-जगह लगे कूड़े के अंबार एवं दुर्गंध से जल्द ही जालौन नगर पालिका क्षेत्र के लोगों को निजात मिलेगी. नगर पालिका प्रशासन अनूठी पहल करने जा रहा है. नगर में पहले एमआरएफ सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है. क्षेत्र के गीले व सूखे कूड़े को एकत्रित कर एमआरएफ सेंटर में जमा किया जाएगा. एमआरएफ सेंटर बन जाने से कूड़े का ढेर लोगों के सिर दर्द की वजह नहीं बनेगा. 


कूड़े से बनाई जाएगी केमिकल फ्री जैविक खाद
नगर पालिका क्षेत्र के विभिन्न स्थानों से कूड़ा एकत्रित कर जैविक खाद बनाई जाएगी. पीएम मोदी के केमिकल फ्री मिट्टी के विजन को ध्यान में रखकर खाद का उत्पादन होगा. सूखे कूड़े से प्लास्टिक अलग कर रिसर्च सेंटर भेजा जाएगा. इससे शहर में यहां-वहां कूड़े का ढेर नजर नहीं आएगा और कूड़ा एकत्रित करने वाले लोगों को भी रोजगार का अवसर मिलेगा.


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मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर
रविंदर सलूजा एसबीएम प्रभारी, नगर पालिका जालौन ने बताया कि एमआरएफ यानी कि मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर. इस सेंटर का मतलब यह है यह जितना भी सूखा कूड़ा है उसे हम अलग-अलग सेग्रीगेट करेंगे क्योंकि कुछ कूड़ा काम का होगा तो कुछ एकदम वेस्ट होगा. उन सबके लिए शासन के द्वारा मशीनें मंगवाई गई हैं. हम जेम पोर्टल के माध्यम से मशीनें मंगवा रहे हैं. एक हफ्ते में मशीनें आ जाएंगी. 


क्षेत्र में लगाया जाएगा कंपोस्टिंग प्लांट 
रविंदर सलूजा ने बताया कि इन मशीनों के उपयोग से जितना भी सेग्रीगेट किया हुआ सूखा कूड़ा होगा उससे हम तरह-तरह के सामान बनाएंगे. एक तरह से यह कैसे कह सकते हैं कि कूड़े को निस्तारित करेंगे. इस काम के लिए कई तरह की मशीनें हैं जैसे सेग्रीगेशन मशीन, कंपोस्टिंग मशीन आदि. आगे शासन की मंशा है कि इन मशीनों के जरिए कूड़े को कंप्रेस करके इसका उपयोग रोड बनाने में किया जाए. इससे शहर में कूड़ा भी कम से कम होगा. कंपोस्टिंग प्लांट भी लगाया जाएगा. डोर-टू-डोर कूड़ा गाड़ियों से कलेक्ट किया जाएगा. 


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कूड़ा बीनने वालों को मिलेगा रोजगार
एसबीएम प्रभारी ने बताया कि सूखे और गीले कूड़े के अलग-अलग कंपार्टमेंट्स होंगे. जो सूखा कूड़ा होगा वह एमआरएफ स्पेशलिटी सेंटर में चला जाएगा. जो गीला कूड़ा होगा उसे कंपोस्ट में भेज दिया जाएगा. हमारी एक और योजना है कि जिसके लिए एजेंसी से बात चल रही है.


रविंदर सलूजा ने बताया कि एजेंसी खुद ही एमआरएफ सेंटर को पूरी तरह से मैनेज करेगी. इसमें जो कूड़ा बीनने वाले लोग हैं उन लोगों को हायर करके सुखा कूड़ा अलग-अलग करेंगे. इससे शहर में जितना कूड़े का ढेर लगा है वह भी धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा.


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