गर्मी की छुट्टियों में बनाएं गोंडा घूमने का प्लान, कम खर्च में ट्रिप का मजा हो जाएगा दोगुना
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गर्मी की छुट्टियों में बनाएं गोंडा घूमने का प्लान, कम खर्च में ट्रिप का मजा हो जाएगा दोगुना

गोंडा में आपको न सिर्फ ऐतिहासिक धार्मिक स्थानों के दर्शन होंगे, बल्कि त्रेता और द्वापर युग की स्मृतियां भी आपके मन मस्तिष्क पर छा जाएंगी. जिन्हें आप जीवनभर भुला नहीं सकेंगे. 

गर्मी की छुट्टियों में बनाएं गोंडा घूमने का प्लान, कम खर्च में ट्रिप का मजा हो जाएगा दोगुना

नई दिल्लीः अगर आप गर्मी की छुट्टियों में कहीं सैर सपाटे पर जाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको एक बार गोंडा जरूर जाना चाहिए. रामलला की जन्मस्थली अयोध्या से लगा यह जिला ऋषि-मुनियों की तपोभूमि है. आज हम आपको गोंडा के उन पर्यटन स्थलों के बारे में बता रहे हैं, जहां कम खर्च में आप घूम सकेंगे और ज्यादा आनंदित हो सकेंगे. 

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स्वामी नारायण छपिया
छपिया मंदिर गोंडा से 50 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां जाने के लिए छपिया से लखनऊ तक परिवहन निगम द्वारा दो एसी बसों का संचालन किया जा रहा है. साथ ही रेलमार्ग के माध्यम से छपिया पहुंचा जा सकता है. मंदिर प्रशासन द्वारा यात्रियों के रहने-खाने का इंतजाम किया जाता है.

मंदिर परिसर में ही एसी रूम के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं हैं. बताया जाता है कि छपिया में स्वामी नारायण संप्रदाय के प्रर्वतक घनश्याम महाराज की जन्मस्थली है. यहां हर साल देश-विदेश से लाखों लोग दर्शन करने आते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर यहां भारी भीड़ होती है. 

पृथ्वीनाथ मंदिर
जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर खरगुपुर में प्राचीन पृथ्वीनाथ मंदिर स्थित है. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग काले कसौटी के पत्थर का है. प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक, पांडव पुत्र भीम ने द्वापरयुग में इस शिवलिंग की स्थापना की थी. यहां हर सोमवार को मेला लगता है, जबकि सावन के महीने और शिवरात्रि में हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए यहां आते हैं. 

यहां ऐसे पहुंचा जा सकता है 
यहां सिर्फ सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. टैक्सी और निजी वाहन के जरिए आप यहां पहुंच सकते हैं. पृथ्वीनाथ मंदिर से थोड़ी ही दूर झालीधाम आश्रम है. यहां पर यात्रियों के ठहरने और खाने की बढ़िया व्यवस्था है. 

वाराही मंदिर
यह मंदिर जिला मुख्यालय से मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जिले के मुकंदपुर में स्थापित मां वाराही देवी मंदिर भक्तों को अटूट आस्था का केंद्र माना जाता है. वराह पुराण के अनुसार, जब हिरण्यकश्यप के भाई हिरण्याक्ष का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया था. तब पाताल लोक जाने के लिए आदिशक्ति की उपासना की थी, तो मुकुंदपुर में सुखनई नदी के तट पर मां वाराही देवी अवतरित हुईं थीं. 

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यहां मौजूद है अद्भुत सुरंग 
इस मंदिर में एक सुरंग भी है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, भगवान वराह ने पाताल लोक तक का मार्ग इसी सुरंग से तय किया था और हिरण्याक्ष का वध किया था. माना जाता है कि मां वाराही देवी के इस मंदिर में भक्तों को काफी सुकून और आनंद मिलता है.

मंदिर की सुरंग के गर्भगृह में अखंड ज्योत प्रज्ज्वलित है. मान्यता है कि यहां प्रतीकात्मक नेत्र चढ़ाने से आंखों से जुड़ी बीमारियां ठीक हो जाती हैं. इस सुरंग की गहराई आज तक मापी नहीं जा सकी है. यहां आने के लिए परिवहन निगम बस संचालित करा रहा है.

पार्वती-अरगा पक्षी विहार
गोंडा जिले का सबसे खास पर्यटन स्थल है पार्वती-अरगा पक्षी विहार. यहां सालभर में लाखों टूरिस्ट सैर सपाटे के लिए आते हैं. सड़क मार्ग के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है. जिला हेडक्वार्टर से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पार्वती-अरगा पक्षी विहार.

यहां सर्दियों में विदेशी पक्षी आते हैं. पार्वती-अरगा पक्षी विहार के नाम से जानी जाने वाली इस झील की मान्यता है कि यह मां पार्वती और शिवजी के अगाध प्रेम की निशानी है. रामसर साइट के जरिए आप ऑनलाइन पार्वती-अरगा पक्षी विहार की पूरी डिटेल देख सकते हैं. 

पसका संगम
आप यहां सड़क मार्ग के द्वारा पहुंच सकते हैं. निजी वाहन या फिर टैक्सी की सुविधा आपको उपलब्ध हो सकती है. ऐसा माना जाता है कि यहां सरयू, घाघरा और टेढ़ी नदियों का संगम होता है. यह लघु प्रयाग संगम कहलाता है. इस संगम तट पर हर साल मेला लगता है.

यहां से कुछ दूरी पर ही राजापुर में गोस्वामी तुलसीदास का जन्मस्थान है. यहां मंदिर में श्रीराम, लक्ष्मण, मां सीता और तुलसीदास जी की प्रतिमा स्थापित है. सूकरखेत में गुरू नरहरिदास का आश्रम और भगवान वराह का मंदिर भी है. 

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महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि कोड़र
श्री पतंजलि जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष डॉ स्वामी भगवदाचार्य के मुताबिक, महर्षि पतंजलि का जन्मस्थान कोड़र में स्थित है. महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र की रचना के अतिरिक्त पाणिनि की अष्टाध्यायी पर महाभाष्य की रचना की है. इस ग्रंथ में महर्षि पतंजलि को गोनर्दीय कहा गया है. जानकारी के मुताबिक, पहले गोंडा जिले को गोनार्द कहा जाता था. महर्षि के जन्म स्थान के नाम पर एक चबूतरा और परिसर में देवी दुर्गा व राम-जानकी का मंदिर स्थापित है. 

यहां भी करें दर्शन 
गोंडा में दुखहरणनाथ मंदिर, काली भवानी मंदिर और हनुमानगढ़ी भी आकर्षण का केंद्र है. गांधीपार्क में एशिया की सबसे बड़ी संगमरमर की बनी महात्मा गांधी की प्रतिमा लगी है. यहां खैरा भवानी मंदिर, कर्नलगंज बरखंडीनाथ मंदिर, वजीरगंज के बाल्हाराई में बालेश्वरनाथ मंदिर स्थित है.

रिजार्ट 
जिला मुख्यालय से करीब 7 किलोमीटर दूर सालपुर बाजार में एक रिजार्ट भी है. यहां पयर्टकों के लिए एसी रूम, स्वीमिंग पूल, गार्डन, क्लब और जिम की भी सुविधा है. इसके अलावा और भी कई बेहतर सुविधाएं हैं. आप यहां ऑनलाइन भी बुकिंग करा सकते हैं. 
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