जितेन्द्र सोनी/जालौन: सरकार ने गांव-गांव में स्कूल खोले, ताकि गरीब परिवार के बच्चे भी शिक्षित हो सकें. लेकिन, इतनी बड़ी व्यवस्था के बीच कुछ स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षा का मंदिर नहीं, जानवरों का तबेला नजर आएगा. जिन स्कूलों पर बच्चों को शिक्षित कर उनका भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है, वह तबेला बन गए हैं. एक संविदाकर्मी के भरोसे स्कूल चल रहा है और अध्यापक नदारद है. विद्यालय में फैली हुई गंदगी देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा के प्रति अधिकारी कितना जागरूक हैं.


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एक ओर बीमारियों को खतरा, दूसरी ओर स्कूल की ऐसी तस्वीर
बता दें, मामला माधौगढ़ के कुदारी गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय का है, जहां विद्यालय कम जानवरों का तबेला ज्यादा नजर आ रहा है. जगह-जगह पर गंदगी का अंबार लगा है और बच्चों को गंदगी से गुजरकर क्लास रूम तक जाना पड़ रहा है. बरसात के मौसम में जहां एक ओर मंकीपॉक्स को लेकर WHO ने अलर्ट जारी किया हैं वहीं दूसरी ओर विद्यालय की बदरंग तस्वीर ने शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. 


बच्चों तो मजबूरी में पढ़ना पड़ रहा है
वहीं, ग्रामीण गौरव कुमार ने बताया कि यह स्कूल शिक्षामित्र के भरोसे चल रहा है. यहां एक महिला अध्यापक तैनात है, लेकिन वह महीने में एक बार आती है. विद्यालय में पढ़ने वाले लक्ष्मण नाम के छात्र ने बताया कि मजबूरी में यहां पढ़ना पड़ रहा. यहां कपड़े भी गन्दे हो जाते हैं.


बीएसए ने कही चौंकाने वाली बात
वहीं, इस पूरे मामले में जालौन के शिक्षा विभाग से जब जवाब मांगा गया तो बीएसए जालौन सचिन कुमार ने चौंका देने वाला जवाब दिया. उन्होंने कहा कि बरसात के कारण थोड़ी गंदगी फैल जा रही है. एक तरफ स्कूल गंदगी से पटा पड़ा है और दूसरी तरफ बीएसए महोदय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्वच्छ स्कूल रखने वाले विद्यालय, प्रधान और टीचरों को सम्मानित किया है और बच्चों के लिए संचारी रोगों की रोकथाम के लिए टीमें स्कूलों में जाकर दवा वितरण कर रही हैं.


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