जौनपुर: जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने जीआरपी सिपाही हत्याकांड के मामले में पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत 7 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और 10 साल की कठोर सजा सुनाई है. इसके साथ 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की आधी धनराशि पीड़ित पक्ष को देने का आदेश भी कोर्ट ने दिया है.


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कोर्ट के फैसले के समय उमाकांत यादव के बड़े भाई रमाकांत यादव भी मौजूद रहे. सजा मिलने की खबर मिलते ही सांसद के समर्थकों में मायूसी छा गई.करीब 27 साल चले इस हत्‍याकांड के मुकदमें में कोर्ट ने शनिवार (6 अगस्त) को सभी आरोपियों को दोषी पाया था. 


गुंडा एक्ट सहित 77 संगीन आपराधिक केस दर्ज
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, उमाकांत पर जौनपुर जिले के शाहगंज थाने में साल 1985 में हत्या और अपहरण का पहला मुकदमा फाइल हुआ था. साल 2021 में आजमगढ़ जिले के दीदारगंज थाना क्षेत्र में यूपी गैंगेस्टर एक्ट का आखिरी केस लगा. इसी बीच में 37 साल के दौरान उमाकांत यादव पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट सहित 77 संगीन आपराधिक केस दर्ज हैं.


शनिवार को अपर सत्र न्यायाधीश ने 27 साल पुराने हत्याकांड मामले में उमाकांत समेत सात लोगों को दोषी करार दिया. अदालत में 598 सुनवाइयों के बाद ये फैसला आया है. उमाकांत यादव के अधिवक्ता कमला प्रसाद यादव ने कहा कि न्यायालय के आदेश का हम सम्मान करते हैं. लेकिन, हम फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे.


ये है सिपाही वाला मामला
गौरतलब हो कि जौनपुर के शाहगंज रेलवे स्टेशन पर बीते 4 फरवरी 1995 को जीआरपी सिपाही रघुनाथ सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था. तहरीर के आधार पर दो  बजे हथियारों से लैस होकर सभी आरोपी लॉकअप में बंद चालक राजकुमार यादव को जबरन छुड़ा ले गए.  इस दौरान अंधाधुंध फायरिंग में सिपाही अजय सिंह यादव की मौत हो गई थी जबकि एक अन्य सिपाही, रेल यात्री गोली से घायल हो गए थे. बता दें कि  पूर्व सांसद के ड्राइवर राजकुमार यादव ने रेलवे-स्टेशन पर GRP सिपाहियों से अभद्रता की थी, जिसके बाद सिपाहियों ने ड्राइवर को GRP चौकी में बैठाए रखा था. राजकुमार यादव अपने रिश्तेदार को ट्रेन में बैठाने गया था. इसके बाद पूर्व सांसद अपने ड्राइवर को छुड़वाने के लिए दल बल के साथ चौकी पर पहुंचे थे.


तीन बार लगातार विधायक बने उमाकांत यादव


पूर्वांचल की राजनीति में मछलीशहर से बहुजन समाज पार्टी के पूर्व सांसद उमाकांत यादव बहुचर्चित नेता हैं.  उमाकांत यादव की गिनती बाहुबली नेताओं में होती है. 
उमाकांत खुटहन से लगातार तीन बार विधायक रहे.  उमाकांत 1991 में पहली बार बसपा से खुटहन विधानसभा (अब शाहगंज विधानसभा) से विधायक बने थे.इसके बाद 1993 में वे सपा-बसपा गठबंधन से दूसरी बार इसी सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद चार फरवरी 1995 को जीआरपी सिपाही हत्याकांड हुआ.  हालांकि 1996 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन टूटने के बाद उमाकांत यादव बसपा का साथ छोड़कर समाजवादी पार्टी में चले गए. खुटहन से सपा के ही टिकट पर विधायक बने थे.


 जेल में बंद रहते हुए बीजेपी के केसरीनाथ त्रिपाठी को हराया
2002 विधानसभा चुनाव में उमाकांत यादव ने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन से खुटहन से चुनाव लड़ा था. लेकिन बीएसपी प्रत्याशी शैलेंद्र यादव ललई से हार गए. साल 2004 लोकसभा चुनाव में उमाकांत जेल में बंद रहते हुए एक बार फिर से मछलीशहर से बसपा के टिकट पर बीजेपी के केसरीनाथ त्रिपाठी को हरा सांसद बने थे. विधानसभा 2012 के चुनाव में मल्हनी विधान सभा से निर्दल प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा  लेकिन,चुनाव आयोग ने सत्यापन किया तो उनके द्वारा  भरे शपथ पत्र में खामियों के चलते निरस्त कर दिया गया था.


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