अनूठी पहल: पहली बार झांसी कमिश्नर कोर्ट ने संस्कृत भाषा में दिया फैसला, रचा इतिहास
झांसी कमिश्नर कोर्ट ने जिन दो मामलों में संस्कृत भाषा में फैसला दिया, उनमें से एक मामला संपत्ति विवाद से जुड़ा हुआ था. जबकि दूसरा मामला शस्त्र लाइसेंस से संबंधित था.
अब्दुल सत्तार/झांसी: झांसी कमिश्नर कोर्ट (Jhansi Commissioner Court) ने दो अलग-अलग मामलों से जुड़े निर्णय संस्कृत भाषा में लिखकर एक नया इतिहास लिख दिया. झांसी के कमिश्नर डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने दो मामलों का फैसला संस्कृत भाषा में लिखकर जारी किया. राजस्व न्यायालय के इतिहास में संस्कृत भाषा में पहली बार निर्णय लिखा गया है, जबकि उत्तर प्रदेश में सरकारी कामकाज में हिन्दी भाषा को उपयोग में लाया जाता है.
ये हैं वो दो मामले
झांसी कमिश्नर कोर्ट ने जिन दो मामलों में संस्कृत भाषा में फैसला दिया, उनमें से एक मामला संपत्ति विवाद से जुड़ा हुआ था. जबकि दूसरा मामला शस्त्र लाइसेंस से संबंधित था. सम्पत्ति विवाद से जुड़े छक्कीलाल बनाम राजाराम केस में कमिश्नर कोर्ट ने दो पृष्ठों का फैसला संस्कृत भाषा में पारित किया. इसी तरह एक अन्य मामला शस्त्र लाइसेंस से संबंधित था. रहीश प्रसाद यादव बनाम राज्य सरकार उत्तर प्रदेश के मामले में भी कमिश्नर कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद दो पृष्ठों का निर्णय संस्कृत भाषा में पारित किया.
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आदेश में हिंदी रूपांतरण भी संलग्न
बताया जाता है कि ब्रिटिश काल में झांसी कमिश्नर कोर्ट ने बहुत सारे मामलों के फैसले अंग्रेजी भाषा में तो दिए हैं, लेकिन संस्कृत भाषा में फैसला का यह पहला उदाहरण सामने आया है. आदेश की प्रति पर यह भी लिखा है कि इस आदेश का हिंदी रूपांतरण संलग्न है, जो इसी आदेश का एक भाग होगा.
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"संस्कृत भाषा प्रोत्साहित होगी"
वहीं, अधिवक्ता देवराज सिंह ने कहा कि यह निर्णय देकर अपने आप में एक इतिहास रचा गया है. कमिश्नरी में राजस्व न्यायालय में इससे पहले कभी भी संस्कृत में निर्णय पारित नहीं किये गए हैं. यह पहली बार है कि संस्कृत में आदेश पारित किया गया है. इससे संस्कृत भाषा प्रोत्साहित होगी. हम भी इस भाषा को जानने और समझने का प्रयास करेंगे. आमतौर पर निर्णय हिन्दी या अंग्रेजी में पारित किये जाते हैं. संस्कृत में निर्णय देकर एक सराहनीय पहल की गई है.
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