Death Anniversary of mahatma Jyotiba: ज्योतिबा फुले जिन्हें संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर मानते थे गुरु, यूपी दलित समाज में है बहुत मान
ज्योतिबा फुले बाल-विवाह के विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे. उन्होंने 1863 में गर्भवती विधवाओं के लिए एक घर शुरू किया था, जहां वे अपने बच्चों को सुरक्षित रूप से जन्म दे सकें.
Mahatma Jyotiba Phule Death Anniversary: अपनी पूरी जिंदगी में छुआछूत, अशिक्षा, महिलाओं पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ और दलितोंं के उत्थान के लिए लड़ने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले की आज पुण्यतिथि (Death Anniversary) है. भारतीय इतिहास में एक प्रमुख समाज सुधारक के रूप में उन्हें गिना जाता है. देश में जाति-धर्म और सामाजिक असमानता के खिलाफ जिन लोगों ने सबसे ज्यादा मेहनत की है, उनमें महात्मा ज्योतिबा फुले का नाम बहुत आगे है.
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हालांकि उनका ज्यादातर कार्य महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हुआ पर उप्र की बहुत बड़ी दलित आबादी उन्हें बहुत मानती है. हर साल हमारे देश में सभी लोग 28 नवंबर को आदर्श शिक्षक महात्मा ज्योतिबा फुले (Mahatma Jyotiba Phule) की पुण्यतिथि मनाते हैं. उनकी याद के इस अवसर पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी बता रहे हैं, ताकि उनके द्वारा किए गए सभी कार्यों को आप भी जान सकें.
महिलाओं के उत्थान के लिए विशेष कार्य
महात्मा ज्योतिबा फुले ने महिलाओं के उत्थान के लिए विशेष रूप से कार्य किया है. ज्योतिबा फुले बाल-विवाह के विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे. उन्होंने 1863 में गर्भवती विधवाओं के लिए एक घर शुरू किया था, जहां वे अपने बच्चों को सुरक्षित रूप से जन्म दे सकें. सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने भ्रूण हत्या और शिशु हत्या को रोकने के लिए भी एक अभियान चलाया और अनाथालय भी खोला था.
जानें उनका जीवन परिचय
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को पुणे में हुआ था. उनका पूरा नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले था. उनके पिता का नाम गोविंदराव था और माता का नाम चिमनाबाई था. फुले का बचपन अनेक कठिनाइयों में भरा था. वे महज 9 माह के थे, जब उनकी मां का देहांत हो गया था.
आर्थिक परेशानी के कारण खेतों में पिता का हाथ बंटाने के लिए उन्हें छोटी उम्र में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी, लेकिन पड़ोसियों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उनके कहने पर पिता ने उन्हें स्कॉटिश मिशन्स हाई स्कूल में दाखिल करा दिया. ज्योतिबा फुले का पूरा परिवार कई पीढ़ियों से माली का ही काम करता था. यही वजह है कि उनके नाम के साथ 'फुले' उपनाम जुड़ा हुआ था. बता दें, वे सातारा से फूल लेकर पुणे आते थे, फिर फूलों से गजरे आदि बनाने का काम करते थे.
संविधान के निर्माता मानते थे उन्हें अपना तीसरा गुरू
महात्मा ज्योतिबा फुले की प्रारंभिक शिक्षा मराठी में हुई थी. सन् 1840 में उन्होंने सावित्री बाई से शादी की थी, जो खुद आगे चलकर एक महान समाजसेविका के रूप में उभरीं. इसके बाद दोनों ने मिलकर दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए प्रयास किए.
महिलाओं की शिक्षा-दीक्षा के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी ने 1848 में पहला गर्ल्स स्कूल खोला था. संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने देश में दलितों और महिलाओं को सामाजिक न्याय देने के लिए उनके इस संघर्ष को देखते हुए उन्हें अपना तीसरा गुरू माना था.
सीएम ने दी श्रद्धांजलि
इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें याद किया और ट्वीट करते हुए लिखा कि, "महान राष्ट्रवादी चिंतक, प्रतिबद्ध समाज सुधारक, महिला शिक्षा के प्रबल समर्थक, छुआछूत समेत अनेक कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि.आपकी शिक्षाएं समतामूलक समाज के निर्माण हेतु प्रेरणा प्रदान करती हैं.
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