वाराणसी: काशी का अन्‍नपूर्णा मन्दिर साल में एक बार अन्‍नकूट के मौके पर खोला ही जाता है. अन्‍नकूट पूजा के बाद इसे फिर एक साल के लिए बंद कर दिया जाता है. यहां की यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है. शुक्रवार को इस परंपरा को एक बार फिर दोहराया गया. अन्‍नकूट पूजन के बाद मंदिर के महाआरती कर मंदिर के कपाट को बंद कर दिया गया. इस दौरान भक्तों को अन्नकूट भोग प्रसाद दिया गया. इसके साथ ही अन्नकूट की झांकी सजाई गई. इनके दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी रही. 


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56 प्रकार के मिष्ठान-पकवान का भोग अर्पित किया गया
शुक्रवार को अन्नपूर्णा मंदिर में आराध्य देवों को कूटे अन्न से बनाए गए. इसके साथ ही 56 प्रकार के मिष्ठान्न-पकवान का भोग अर्पित किया गया. इतना ही नहीं अन्नपूर्णा मंदिर के गर्भगृह में लड्डुओं से मंदिर भी बनाया गया. जिनकी खुशबू चारों ओर फैल गई. इस आस्था का यह क्रम शनिवार की महाआरती खत्म होने के साथ ही रुक गया.  


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जानकारी के मुताबिक, अन्नकूट भोग प्रसाद सभी भक्तों में बांटा जाता है. इस बार प्रसाद ग्रहण करने वाले भक्तों की संख्या करीब 3 हजार थी. इस कड़ी में आम जनता से लेकर न्यायिक शासनिक अधिकारी भी शामिल थे. रात करीब 11:30 बजे महंत शंकर पुरी ने भगवती स्वर्णमयी अन्नपूर्णामहाआरती की. इसके बाद मान्‍यताओं के अनुसार एक बार मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए. 


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फिर कोरोना न आने की विनती 
महंत ने इस बार मां से सभी के लिये विनती की कि कोरोना महामारी जैसी कोई भी दैवीय आपदा से अब लोगों को न गुजरना पड़े. वहीं, कपाट बंद होने के दौरान महाआरती के बाद अन्‍नपूर्णेश्‍वरी के जयकारों और उद्घोष से पूरा प्रांगण गूंज उठा.  इस मौके पर आंध्र प्रदेश के विजय वाड़ा के भक्त एस राजू, राकेश तोमर समेत मंदिर परिवार के सदस्‍य और अन्‍य आस्‍थावान लोग मौजूद रहे.


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