Lakhimpur Kheri Case: सुप्रीम कोर्ट के चुभते सवाल, UP सरकार के लिए हरीश साल्वे की मजबूत दलीलें
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Lakhimpur Kheri Case: सुप्रीम कोर्ट के चुभते सवाल, UP सरकार के लिए हरीश साल्वे की मजबूत दलीलें

Lakhimpur Kheri Case Hearing in Supreme Court: लखीमपुर खीरी कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. अदालत के समक्ष यूपी सरकार का पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे उपस्थित हुए. 

भारत की सर्वोच्च अदालत.

नई दिल्ली: लखीमपुर खीरी कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Lakhimpur Case Hearing in SC) में शुक्रवार को सुनवाई हुई. अदालत के समक्ष यूपी सरकार का पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे (Harish Salve) उपस्थित हुए. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की तरफ से इस घटना की जांच के लिए उठाए गए कदमों से असंतुष्टि जताई. शीर्ष अदालत ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी न होने पर नाराजगी जताई. आपको बता दें कि आशीष मिश्रा इस केस में मुख्य आरोपी हैं.

शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा नाम के दो वकीलों की याचिका का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई की थी. तब अदालत ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था कि लखीमपुर हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence) मामले में जांच अबतक कहां पहुंची है, कौन-कौन आरोपी हैं और उन्हें अबतक गिरफ्तार किया गया है या नहीं? इस पर यूपी सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से केस से जुड़े सभी डिटेल्स प्रस्तुत करने के लिए शुक्रवार तक का समय मांगा था.

मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी क्यों नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे से पूछा कि आशीष मिश्रा के खिलाफ आईपीसी 302 (हत्या) के तहत एफआइआर दर्ज हुई है, 8 लोगों की जघन्य हत्या का अति गंभीर मामला है, फिर मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली लगने की पुष्टि नहीं हुई है. पुलिस को मौके से दो फूंके कारतूस जरूर मिले हैं. संभव है कि आरोपियों की कोई गलत मंशा रही हो. 

इस पर चीफ जस्टिस ने साल्वे से सवाल करते हुए कहा, तो क्या आरोपियों को कस्टडी में न लेने की यही वजह थी? हरीश साल्वे ने बताया कि आशीष मिश्रा पर गोली चलाने का आरोप है, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किसी भी मृतक को गोली लगने की पुष्टि नहीं हुई है. इसलिए नोटिस भेजा गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस घटना के मुख्य आरोपी को भी वैसे ही ट्रीट किया जाना चाहिए, जैसे अन्य मर्डर केस के आरोपी को किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने तंज कसते हुए कहा, हत्या के आरोपी के साथ ऐसा नहीं होता कि प्लीज आ जाएं, नोटिस किया गया है. प्लीज आइए.

लखीमपुर मामले की जांस से संतुष्ट नहीं
मुख्य न्यायधीश एनवी रमणा ने यूपी सरकार को अपने डीजीपी से यह सुनिश्चित कराने के लिए कहा है कि जबतक कोई अन्य एजेंसी इस केस की जांच नहीं संभालती है, तब तक मामले के सभी सबूत सुरक्षित रहें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच में यूपी सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है. किसी वैकल्पिक एजेंसी से जांच कराए जाने पर विचार किया जा सकता है. शीर्ष अदालत की टिप्पणी से यह संकेत मिल रहे हैं कि लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई को सौंपी जा सकती है.

हरीश साल्वे ने आशीष मिश्रा को गिरफ्तार किए जाने की बजाय सिर्फ नोटिस सर्व किए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के जवाब में कहा, यह 302 का केस हो सकता है. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने उनके जवाब पर हैरानी जताते हुए पूछा, 302 का केस हो सकता है? हो सकता है? चीफ जस्टिस ने कहा कि मौके पर चश्मदीद गवाह हैं, हमारा मत है कि जहां 302 का आरोप है वह गंभीर मामला है और आरोपी के साथ वैसा ही व्यवहार होना चाहिए जैसे हत्या के बाकी आरोपियों के साथ होता है. क्या हत्या के बाकी केस में मुख्य आरोपी को नोटिस जारी किया जाता है कि आप प्लीज आ जाइए?

मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी होनी चाहिए
चीफ जस्टिस ने कहा कि पोस्टमार्टम में गोली लगने की पुष्टि नहीं हुई तो क्या इस ग्राउंड पर आरोपी को न पकड़ा जाए? सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर हरीश साल्वे ने कहा कि नहीं, केस गंभीर है. चीफ जस्टिस ने कहा कि बिल्कुल गंभीर केस है. लेकिन केस को वैसे नहीं देखा जा रहा है. हम समझते हैं कि इस तरह से कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. कथनी और करनी में फर्क नजर आ रहा है. चीफ जस्टिस ने हरीश साल्वे से पूछा, आईपीसी 302 यानी मर्डर केस में पुलिस क्या करती है? आरोपी को गिरफ्तार करती है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, आरोपी कोई भी हो कानून को अपना काम करना चाहिए. इस पर हरीश साल्वे ने कहा, जो भी कमी है कल तक ठीक कर ली जाएगी. चीफ जस्टिस ने कहा, छुट्टियों के बाद 20 अक्टूबर को मामले में फिर सुनवाई करेंगे.

लखीमपुर हिंसा का पूरा मामला क्या है?
लखीमपुर खीरी भाजपा सांसद और वर्तमान में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उनके काफिले में शामिल ​महिंद्र थार एसयूवी प्रदर्शनकारी किसानों के ऊपर चढ़ा दी गई थी. इस घटना में 4 किसानों, एक टीवी पत्रकार की मौत हो गई थी. इससे किसान उग्र हो गए और थार एसयूवी के ड्राइवर और 3 भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी. किसानों का आरोप है कि आशीष मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों पर गाड़ी चढ़ाई और फायरिंग की थी. दूसरी ओर आशीष मिश्रा का कहना है कि घटना के वक्त  अपने गांव में चल रहे दंगल कार्यक्रम में थे. इस मामले में दर्ज FIR में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया गया है, लेकिन अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है.

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