हैरतअंगेज: रातों-रात गायब हो गया 140 साल पुराना स्कूल! सुबह पहुंचे बच्चे और टीचर तो दिखा यह...
लखनऊ में रातों-रात पूरा-पूरा एक स्कूल लापता हो जाने का मामला सामने आया है. यह मामला इसलिए भी शॉकिंग है, क्योंकि इसकी जानकारी न बच्चों को थी और न ही टीचर्स को.. जानें उस स्कूल की जगह क्या मिला....
मयूर शुक्ला/लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी से एक बड़ा ही हैरतअंगेज मामला सामने आया है. यहां पर रातों-रात 140 साल पुराना एक स्कूल गायब हो गया. जब सुबह बच्चे पढ़ने पहुंचे तो उन्हें अपना स्कूल ही नहीं मिला. ऐसे में बाहर सड़क पर क्लास लगाई गई. करीब 140 साल पुराने इस स्कूल के अचानक लापता हो जाने की बात बड़ी ही चौंकाने वाली है.
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छुट्टी से वापस आए शिक्षक और बच्चे, तो हुआ यह...
मामला लखनऊ के गोलागंज मोहल्ले का है. यहां पर सेंटेनियल हायर सेकेंडरी स्कूल और कॉलेज की बिल्डिंग हुआ करती थी. हालांकि, गुरुवार को जब टीचर्स और स्टूडेंट्स छुट्टी के बाद लौटे, तो एक करारा झटका उनका वहां इंतजार कर रहा था. उनका ऐतिहासिक स्कूल चला गया और उसके स्थान पर एक नया प्राइवेट स्कूल खड़ा हो गया.
नए प्राइवेट स्कूल पर केस दर्ज
इस मामले में जांच को लेकर मौके पर डीएम के साथ डीआईओएस और बीएसए भी पहुंचे. इसके बाद स्कूल की मान्यता को लेकर जांच शुरू हुई. साथ ही, डीएम ने नए प्राइवेट स्कूल पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं.
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बच्चों को बिल्डिंग में बैठने की मिली अनुमति
डीएम सूर्यपाल गंगवार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस मामले में जांच हुई तो नए स्कूल की मान्यता को लेकर कई तरीके की गड़बड़ियां पाई गईं. बताया जा रहा है कि इस स्कूल को गलत तरह से मान्यता दी गई है. जांच पूरी होने के बाद सख़्त कार्रवाई होगी. फिलहाल, बच्चों को अंदर बैठकर पढ़ने की अनुमति मिल गई है और नए प्राइवेट स्कूल मेथोडिस्ट चर्च का बोर्ड भी हटा दिया गया है.
मान्यता की लड़ाई में सड़क पर पढ़ाई
लखनऊ में प्रदेश सरकार से सहायता प्राप्त स्कूल की मान्यता को लेकर लड़ाई चल रही है, जिसने अब तूल पकड़ लिया है. लखनऊ के गोलागंज में सेंटेनियल हायर सेकेंडरी स्कूल के नाम से पहले से ही विद्यालय चल रहा था, लेकिन बाद में प्रबंधन ने अधिकारियों से सांठगांठ कर मेथाडिस्ट चर्च स्कूल के नाम से भी मान्यता ले ली. यह मामला तब संज्ञान में आया जब सेंटेनियल स्कूल के बच्चे रोड पर पढ़ाई करते नजर आए. क्योंकि उनकी स्कूल की बिल्डिंग पर अवैध रूप से चल रहे मेथाडिस्ट चर्च स्कूल ने कब्जा कर लिया था.
क्या है पूरा मामला
प्रदेश सरकार से सहायता प्राप्त सेंटेनियल हायर सेकेंडरी स्कूल को पहले से यूपी बोर्ड से दसवीं तक की मान्यता मिली थी. इसके बाद शिक्षा माफिया ने विद्यालय का नाम बदलकर दोबारा मान्यता के लिए आवेदन किया. सबसे बड़ी बात यह है कि लापरवाह शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मान्यता को मंजूरी भी दे दी. मामला सामने आने पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए कि आखिरकार इतनी बड़ी लापरवाही किसने कर डाली.
आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
इस संबंध में माध्यमिक शिक्षक संघ ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद और संयुक्त शिक्षा निदेशक सुरेंद्र तिवारी को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है. शिक्षक संघ की मांग है कि मेथाडिस्ट चर्च स्कूल को फर्जी मान्यता देने वाले तत्कालीन मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक और बेसिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई कर मान्यता को निरस्त किया जाना चाहिए.
यह थी मंशा
माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉक्टर आरपी मिश्रा ने यह जानकारी दी कि शिक्षा माफिया ने सेंटेनियल इंटर कॉलेज की हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति कब्जाने के लिए मेथाडिस्ट चर्च स्कूल की 1 जनवरी 2021 से 1 नवंबर 2022 तक अस्थाई मान्यता प्राप्त कर ली है, लेकिन नियम अनुसार जब पहले से उस बिल्डिंग पर सेंटेनियल हायर सेकेंडरी स्कूल को मान्यता प्राप्त है तो ऐसे में कोई दूसरा स्कूल उस पर कब्जा नहीं कर सकता.
इस तरह दी गई मान्यता
जिस भवन में फर्जी स्कूल का संचालन हो रहा है, उसकी 1 से 5 और 6 से 8 तक मान्यता मेथाडिस्ट चर्च स्कूल गोलागंज के नाम से बेसिक शिक्षा परिषद ने दी है. हालांकि, पूर्व से संचालित सहायता प्राप्त स्कूल के भवन परिसर में बेसिक शिक्षा विभाग मान्यता नहीं दे सकता.
हटा लिया गया मेथाडिस्ट चर्च का बोर्ड
मामला तूल पकड़ने पर और भ्रष्टाचार के उजागर के बाद आनन-फानन में अधिकारियों ने स्कूल के चक्कर लगाने शुरू कर दिए. आज लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे जहां पर उन्हें तमाम खामियां मिलीं. उन्होंने कहा कि पहले से सहायता प्राप्त स्कूल को गलत तरीके से दोबारा मान्यता दी गई है. इसकी जांच कराई जाएगी और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. हालांकि, सड़क पर बैठकर पढ़ रहे बच्चों को अब स्कूल के अंदर पढ़ने की अनुमति मिल गई है और मेथाडिस्ट चर्च स्कूल का जो बोर्ड लगा दिया गया था उसे भी हटा लिया गया है.
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